bleeding edge
 

P. Petr. 3

1
Nd. zusammen mit P. Hal. 11 und zwei zugehörigen Fragm., mit Photos: P. Petrie2 1. 1.
ύπάρχον μοι ῎Ι[σιδος] | μητρ[ὸς θ]εῶν Βερενίκης καὶ ᾽Αφροδίτης ᾽Αρσινόης …. [ ] | τέ̣μεν[ος κα]τὰ πρόσωπον τοῦ ίεροῦ κτλ. P. Petr. III Seite XI.
οἶκος ἱερὸς τοῦ Πτολεμαίου, | ἀπὸ δὲ βορρᾶ κτλ. P. Petr. III Seite IX.
II 2
φρονῶν Μαρων Εὐφράνορος Λίβυς τῆ[ς ἐπιγονῆς], | [ὡς]∟π, μέσος κτλ. P. Petr. III Seite XI.
II 6
῎Ι[σιδος] (B.L. 1, S. 378) → ἱ[ερόν], Pros.PtoI. 9, S. 169, Nr. 6643 und S. 170, Nr. 6646.
II 9
Σισούχου τοῦ ῾Αρ[σ]ιήσιος, ἀπὸ δὲ νότου κτλ. P. Petr. III Seite XI.
II 11
κα[ὶ] | Παῶτος τοῦ Τ̣υ . η̣[….]ς, κτλ. P. Petr. III Seite XI.
II 12
εὐμεγέθει μελάνχρ[[ω[ι]/ος]] | φακὸς κτλ. P. Petr. III Seite XI.
II 14
| ᾽Αρτεμιδώρου Αἰακιδέ[ω]ς, ὡς∟μ κτλ. P. Petr. III Seite XI.
II 16
᾽Ακ̣ω̣ναπιμῶντος καὶ Παῶτος τοῦ Φμόιτος, ἀπ[δ] | δὲ νό |του αὐλὴ κτλ. P. Petr. III Seite XI.
II 17
Die Lesung Πτολεμαίου (B.L. 1, S. 378) wird abgelehnt, E. Van’t Dack, Anc.Soc. 3 (1972), S. 144.
II 18
Μεννέου ἀστῆι | ὡς∟ξ κτλ. P. Petr. III Seite IX.
4
Viell. ἐγ [Κροκοδείλων πόλει, F. Uebel, Die Kleruchen S. 229, Anm. 2.
7
Ergänze τῶι ὑπάρχοντί] μοι υἱῶι ᾽Απ[, F. Uebel, Die Kleruchen S. 229, Anm. 1.
2
Nd. zusammen mit P. Petr. 1. 16 und P. Petr. 3. 6 mit Photos: P. Petrie2 1. 3.
ὲγὼ ζῶι πιστ̣ῶ̣ [ς . . .] | [……….] ύτου τὰ τροφεῖα, καὶ ἔστωσαν ἐλεύθεροι, καθὰ καὶ ἐξ[ηγ]ησ|[άμην, καὶ μηθεν]ὶ ἐξέστω ἐπιλα̣[β]έσθαι αὐτῶν παρ̣[ευρ]έ̣σειμ[ηδ]ε̣μ[ιᾶι]. | [᾽Επιτρόπους δ|ὲ κτλ. Hunt bei Kreller, Erbrechtl. Untersuch. S. 353. P. Petr. III Seite XII. Pr. P. Petr. III Seite IX.
2
ὡς∟λε μέσος μελί[χρως] | [ ] . . . ριν κτλ. P. Petr. III Seite XII.
3-4
σύντ̣α̣[γμα | [……] (B.L. 1) → συντ̣α|[γμα(τάρχης?) τῶν], W. Clarysse, Pros.Ptol. 8, S. 117, Nr. 1860.
4
| [......] ᾽Ασκληπιάδου κληροῦχος κτλ. P. Petr. III Seite XII.
8-26
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 28.
14
πεντακοσίαρχος κληροῦχος ὡς∟ξε κτλ. P. Petr. III Seite IX.
20
γεγενημένον οὔπ̣ω ε̣ξ[. .]ρε | κτλ. P. Petr. III Seite XII.
21
ζῶι πισ.[….]. → ζῶ ὑπήκοο̣[ι ὄ]ν̣|[τες, W. Clarysse, Chr.d’Ég. 51 (1976), S. 163.
25
βασίλισ[σαν Βερενίκην τὴν βασι]|[λέως Πτολεμαί]ου ἀδελφὴν κτλ. Pr.
4
zwischen Zeile 13 und 14 breiter freier Raum.W., A III 513.
7-8
Κλειν[ίας (?) ᾽Αλεξανδρεὺς τῆς ἐπιγονῆς τῶν], F. Uebel, Die Kleruchen S. 219, Anm. 2.
I 9
ἐν ἀγυιᾶι ᾽Α[ρσινόης ……] | κτλ. So wahrscheinlicher, falls nicht zu kurz für die Lücke: Mahaffy und Smyly bei Lesquier, Instit. milit. 3372 u. 3442.
Diomedes ist viell. identisch mit dem in P. Petr. 3. 21 und (g), Pros.Ptol. 9, S. 281, Nr. 7930.
4
II 7
ἀριστερόν, Κλειν[ίας(?) ] | κτλ. W., A III 513.
II 12
δεξιάν, Πύρρος . δυσ̣[ ] | κτλ.
Nd. zusammen mit zugehörigem Fragm., mit Photos: P. Petrie2 1. 6.
4.2
4
Viell. ἐ̣π̣[ιλάρχης (oder ἐ̣π̣[ιλοχαγὸς) τῶν τοῦ δεῖνος κλη-ροῦχος, F. Uebel, Die Kleruchen S. 218, Anm. 5.
12
Statt . δυσ̣[ l. ᾽Α̣δύμ̣[ου (= Vater des Πύρρος), F. Uebel, Die Kleruchen S. 219, Anm. 3.
22
ὀφείλωσιν → ὀφείλο̣υ̣σιν, W. Clarysse, Z.P.E. 17 (1975), S. 251.
II 27
| […… Π]εργαῖος τῶν ᾽Ανδ|ρίσκο]υ χιλίαρχος κτλ. So wahrscheinlicher, falls nicht zu kurz für die Lücke: Mahaffy und Smyly bei Lesquier, Instit. milit. 3372 u. 3442.
5 a
13
| […..]ους ἀστῆι, ἄλλωι δὲ οὐθενὶ κτλ. P. Petr. III Seite IX.
Nd. mit Photo: P. Petrie2 1. 11.
Nd.: P. Petrie2 1. 12.
(b) 4
Vl. ἀναφάλαν]τος, C. Gini, La pigmentazione degli abitanti dell’ Egitto S. 11.
8
[ἐ]πιλ̣ο̣χα̣γ[ὸς] κ̣ [ληροῦχος] statt τ̣ῆ̣ι λοχα̣[γία]ι [ ..........], T. Reekmans, Chr. d’Ég. 54 (1952), S. 410.
13
Vl. τῶν ῾Ηρακ[λείτου, M. Launey, Recherches sur les armeés hellénistiques S. 611 A. 6.
6
Nd. mit Photo: P. Petrie2 1. 4.
Zu erg. vor κλη|ροῦχο]ς̣; (B.L. 7, S. 161): ἰλάρχης oder λοχαγός oder sonstiger Offizierstitel, W. Clarysse, E. Van ’t Dack, Chr.d’Ég. 60 (1985), S. 389, Anm. 3.
- - ] τῆς ἐπιγονῆς ὡς (ἐτῶν) μ μελιχρους κ̣α̣[ - -, J. Smyly, Die Kleruchen S. 222, Anm. 1.
Κα[μ]μ̣[ά]νδρα [– –] τῆς ἐπιγονῆς, F. Uebel, F. Zucker, Archiv 17 (1960), S. 110.
Nd. zusammen mit P. Petr. 1. 16 und P. Petr. 3. 2, mit Photos: P. Petrie2 1. 3.
1-15
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 31, Kol. II.
4
Δημ[ητρίου - - - τῆς ἐπι]γονῆς, J.G. Smyly (am Original) mitgeteilt von E. Van ’t Dack, Bibl.Orient. 27 (1970), S. 357.
7
Δημήτριος ᾽Αγαθ[οκλέους?, E. Van ’t Dack, Bibl.Orient. 27 (1970), S. 357.
8
ὑπάρ[χουσί μοι υἱοῖς, F. Uebel, Die Kleruchen S. 222, Anm. 4.
9-11
᾽Αμ[ τοῖς ἐξ oder ᾽Αμ[ τοῖς γεγενημένοις ἐξ ἐμοῦ κα]ὶ̣ Καμ̣μ̣ά̣νδρας, ἐὰν δέ [τι Καμμάνδρα ἀνθρώπινον πάθηι, F. Uebel, Die Kleruchen S. 222, Anm. 4.
10
] ῎Αριστις und τῆς ἐπιγονῆς τῶν, E. Van ’t Dack, Bibl.Orient. 27 (1970), S. 357.
11
[οὔπω ἐπηγμένων εἰς δ]ῆμον, E. Van ’t Dack, Bibl.Orient. 27 (1970), S. 357.
16-47
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 29.
22-23
Πυθαγ[γέλου …….]|[….] → Πυθαγ̣[γέλου …… κλη]|[ροῦ-χο]ς̣, Pros.Ptol. 8, S. 192, Nr. 3869.
33
(= Z. 17) ε[ → ξ[, viell. ξ[ιφοφόρον, C.Ptol.Sklav., S. 124; die Vorschläge θ̣[ωρακοφόρον und θ̣[εράποντα (C.Ptol.Sklav., S. 124) sind aber unmöglich: das ξ ist sicher, vgl. auch P. Petrie2 1. 3, Z. 81.
42
Vl. Σαρ]διανός, M. Launey, Recherches sur les armeés hellénistiques S. 374 A. 7.
45
Ergänze etwa Πέρση[ς (ἑκατόνταρχος) τῶν Λίχα, F. Uebel, Die Kleruchen S. 222, Anm. 1.
6 a
22
Δημήτριος Δείνωνος Χρηστήριος τῶμ Πυθαγ[γέλου ] | κτλ. P. Petr. III Seite IX.
28
ζωνὴν θωρακῖτιν [ ] | κτλ. P. Petr. III Seite IX.
6 b
4
Lesung dieser Zeile sehr unsicher.Smyly bei Lesquier, Instit. milit. 3027.
7
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 53.Nd.: P. Petrie2 1. 14.
Vgl. A. Kasher, The Jews in Hellenistic and Roman Egypt S. 70 (zu C.P.J. 1. 126).
καὶ καθυπογραφὴν τὴν ἐν δημοσίωι ᾽Απολλ-|[ωδότου Σύρου oder ᾽Ιουδαίου] παρεπιδήμου, J. Modrzejewski, Rech. de Pap. 2 (1962), S. 94.
᾽Απολλ[ώνιον ὑπόχρεων], C. P. J. 1. 126, 15.
6-7
Κυ|[ρηναῖος τῆς ἐπιγονῆς, F. Uebel, Die Kleruchen S. 223, Anm. 1.
9
[δεξιὰν εἴη μέν], V. Tscherikover, C. P. J. 1. 126, 9.
13
[οἰκετικὰ σώμ]ατα, C. P. J. 1. 126, 13.
14
Zum δημόσιον = Gauarchiv s. Wilcken, P. Freib. 3 S. 64.
14-15
καθυπογραφὴν τὴν ἐν δημοσίωι ᾽Απολλ|[ωδότου Σύρου oder ᾽Ιουδαίου] παρεπιδήμου (B.L. 5) → καθ᾽ ὑπογραφὴν τὴν ἐν δημοσίωι ᾽Απολλ|[ώδοτον Σύρον] παρεπίδημον, J. Modrzejewski, Rech.de Pap. 2 (1962), S. 95.
17
βασίλισσαν | [Βερενίκην τὴ]ν βασιλέως Πτολεμαίου ἀδελφὴν κτλ. Pr.
8
I 1
[ ]. . . ωρος ᾽Ασκ[λ . . . ] | κτλ. So wahrscheinlicher, falls nicht zu kurz für die Lücke: Mahaffy und Smyly bei Lesquier, Instit. milit. 3372 u. 3442.
I 5
| [ ἡσυ]χῆι ὧτα [[μείζω]] [ ] | κτλ. So wahrscheinlicher, falls nicht zu kurz für die Lücke: Mahaffy und Smyly bei Lesquier, Instit. milit. 3372 u. 3442.
I 13
| [ ]ηι δεξιᾶι. Εἴη μὲν κτλ. P. Petr. III Seite XII.
I 14
πάσχω, [καταλείπω ] | [ ]ίωι τῶι υἱῶι κτλ. Pr. W., A III 513.
8.1
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 32.Nd. mit Photo: P. Petrie2 1. 9.
8.2
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 33.Nd. mit zugehörigem Fragm., mit Photos: P. Petrie2 1. 7.
R
Φανῆτι → Φαυῆτι, W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88, Anm. 20.
9
23
μαχαίρας καὶ ὀβελίσκου (δρ.) α, T. Reekmans, Chr.d’Ég. 43 (1968), S. 170.
10
→ SB 14 11306
Nd. (am Original), zusammen mit P. Petr. 3. 15, 16 und 17(b), W. Clarysse, Anc.Soc. 2 (1971), S. 7-20.
11
τῶ[ν Πτολεμαίου], M. Launey, Recherches sur les armées hellénistiques S. 1192.
11-12
τῶ[ν Πτολεμαίου] τοῦ Ναυτᾶ, W. Peremans, E. van ’t Dack, St. Hell. 9 (1953), S. 34-9.
13
τῶν [Πτολεμαίου, M. Launey, Recherches sur les armées hellénistiques S. 1175.
13-14
τ[ῶ]ν̣ [Πτολεμαίου τοῦ Ν]αυτ̣ᾶ, W. Peremans, E. van ’t Dack, St. Hell. 9 (1953), S. 34-9.
11
Nd. zusammen mit P. Petr. 3. 14, P. Petr. 1. 13 42), S.B. 14. 11306 und zugehörigem Fragm., mit Photos: P. Petrie2 1. 16.
Πτολεμαῖος ᾽Οπ[ .. τοῦ, M. Launey, Recherches sur les armées hellénistiques S. 311 A. 1.
ἄλλη [παρὰ κρότ]α̣φον ἀριστερὸν κτλ. Pr.
τῶν Παίων τοῦ ἀγή[ματος ] | [μ]εγέ θει κτλ. P. Petr. III Seite XII.
2
Statt οπ̣[ l. ό μ̣[έγας] oder ό μ[έ(γας)], F. Uebel, Die Kleruchen S. 227, Anm. 7.
4
Ατ[ Κα]λλιφάνους ᾽Ακταῖος(?) τῆς ἐπιγονῆς κτλ. Lesquier, Instit. milit 3241.
10-36
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 30.
15
᾽Ανδρομάχ[ου ᾽Ανδρομ]άχειος τῶν ᾽Ετε[ω]νέως ἐπιλάρχης | κληροῦχος κτλ. Pr. P. Petr. III Seite XII.
27
| [Δ]ιοκλέους ᾽Αλεξανδρε[ὺς κτλ. P. Petr. III Seite XII.
29
[.].των → [᾽Αρ]ί̣στων, W. Clarysse, Pros.Ptol. 8, S. 211, Nr. 4170.
32
μετώπωι ὑπὸ τ[ρίχα ] | [Κασ]τόρειος κτλ. P. Petr. III Seite XII.
12
Nd. mit Photo: P. Petrie2 1. 18.
[Μενελάο]υ τῶ[ν ἐ]κ τ[οῦ ῾Ε]ρμοπολίτου πρώτων ώς, P. Tebt. 3 1. 815 Fr. 4 r., 23.
7
πρώτων ὡς (B.L. 3) → πρώτω̣ν (ἑ̣κ̣α̣τ̣ο̣ν̣τ̣ά̣ρ̣ο̣υ̣ρ̣ο̣ς̣) ὡς, Pros. Ptol. 8, S. 175, Nr. 2880.
11
Χρυσοπόλεως, ἐπίτρ[οπον δὲ καταλείπω κτλ. Kreller, Erbrechtl. Untersuch. S. 376.
15-16
Die Ergänzung συνταγμα(τάρχης) von J. Lesquier, Inst. mil. S. 366, ist sehr zweifelhaft, P. Tebt. 3 1. 815 Fr. 10, I, 6-7.
15
[σύνταγμ]α → viell. [συνταγμ]α(τάρχης), F. Uebel, Die Kleruchen S. 167, Nr. 571.
17
streiche die Ergänzung Μ[ακεδών]. Lesquier, Instit. milit. 2996.
Nd. zusammen mit P. Petr. 1. 21 (S. 60) und zugehörigem Fragm., mit Photos: P. Petrie2 1. 17.
13
ἐπ[ι]λοχαγός, J.G. Smyly (am Original) mitgeteilt von E. Van ’t Dack, Bibl.Orient. 27 (1970), S. 357.
25
τῶν ..ει̣τ̣α → τῶν Μειδία, W. Clarysse, Pros.Ptol. 8, S. 125, Nr. 1947a.
25
| [καὶ φρονῶ]ν Ε̣ὐφ[ρό]νιος Κυρηναῖος κτλ. P. Petr. III Seite IX.
26
| [εὐμεγέθ]ης ἐρυθρία[ς ἐ]πίγρ̣υπος κτλ. P. Petr. III Seite IX.
28
| [ὑπάρχον]τά μοι πάντα [Θα . . .]αι τῆι ἐμαυ[το]ῦ γυναικί. κτλ. W., A III 513.
28
[Θαλεί]αι und Θάλ̣ε̣ι̣α̣, F. Uebel, Die Kleruchen S. 229, Anm. 4.
Γέτας statt τετας, M. Launey, Recherches sur les armées hellénistiques S. 375 A. 1.
3
]…..ιδης Θεσ̣[σαλ]ός → ].ρα̣τ̣ίδης Θεσσ̣[α]λ̣ός, W. Clarysse, Pros.Ptol. 8, S. 210, Nr. 4155.
6
Statt τετας Θ[ρ]α̣ιξ καταρ[ l. τεταν̣ό̣[θ]ριξ κατάρ[ριν, F. Uebel, Die Kleruchen S. 230, Anm. 2.
14
→ (+ P. Petr. 3 11 + P. Petr. 1 13 (S. 42) + SB 14 11306) P. Petrie2 1 16
Siehe die Ber. zu P. Petr. 3. 11.
Zeile 1 bis 11 Neudr. Wilcken, Arch. III S. 513.
15
→ SB 14 11306
Nd. (am Original), zusammen mit P. Petr. 3. 10, 16 und 17(b), W. Clarysse, Anc.Soc. 2 (1971), S. 7-20.
16
→ SB 14 11306
Nd. (am Original), zusammen mit P. Petr. 3. 10, 15 und 17 (b), W. Clarysse, Anc.Soc. 2 (1971), S. 7-20.
9
| ᾽Αλέξανδρος Μενύλλου Μ[ ] | κτλ. P. Petr. III Seite XII.
14
Auch ᾽Απολλωνι[άτης (Ethnikon) ist möglich, F. Uebel, Die Kleruchen S. 232, Anm. 4.
Nd. (am Original), zusammen mit P. Petr. 3. 10, 15 und 16, W. Clarysse, Anc.Soc. 2 (1971), S. 7-20.
Dieses Stück gehört zu Petr. III 15; vgl. Archiv III S. 513.
Nd. mit Photos: P. Petrie2 1. 25.
Photo (Z. 1-21): A. Wilhelm, Jahreshefte des Österreichischen Archäologischen Institutes 17 (1914), S. 14 (zu P. Petr. 1. 20(2)).
=+ → P. Petr. 3 19 c, 26-30
Diese Zeilenanfänge sind mit 19c vereinigt worden.
1
τοῦ ᾽Αρ[σινοίτου νομοῦ ] | κτλ. P. Petr. III Seite IX. Pr.
4
| [ κύρι]α ἔστω. Μάρτυρες κτλ. Pr.
10
᾽Αλεξικράτους τοῦ Θεογένους ᾽Αλεξάνδρου κτλ. Pr.
Nd. mit Photo: P. Petrie2 1. 28.
Nd. mit Photo: P. Petrie2 1. 26.
1-2
᾽Αλεξανδρεὺς] | τῆς ἐπιγονῆς τῶν οὔπω [ἐπηγμένων εἰς δῆμον, F. Uebel, Die Kleruchen S. 239, Anm. 3
4
Wohl [.]υ̣βιος → [Ε]ὔ̣βιος, Pros.Ptol. 8, S. 211, Nr. 4171.
(c) 13
Viell. Φίλωνος Σολ̣[εὺς τῆς ἐπιγονῆς], F. Uebel, Die Kleruchen S. 71, Anm. 4.
Nd. mit Photo: P. Petrie2 1. 29.
20
Neudr. Wilcken, Chrestom. 450.
R
Nd. am Original revidiert, mit Kommentar, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 29 (1954), S. 124-136. Mit den gegebenen Berichtigungen neu abgedruckt in S.B. 6. 9556.
R
Die Ergänzung von Lenger κ[αὶ τοῖς] wird abgelehnt zu Gunsten von κ[αὶ τοῖς ἄλλοις] von Mahaffy, Foucard und Jörs, H. J. Wolff, Justizwesen der Ptolemäer S. 72, A. 36a.
R
Nd. nach M. Th. Lenger (vgl. B.L. IV, S. 68) S.B. 6. 9454 und C. Ord. Ptol., Nr. 5-10.
R
[λάβ]ω̣σιν, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 220.
R
προσαπ[οτει]σ̣άτωσαν, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 220.
R
οὗ ἂν̣ [ἐ]λ̣εγχ̣[θ]ῶ̣σιν, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 220.
L. δανε]ί̣ζ̣ε̣σθαι (so; falsch BL 1 S. 380, 5).
R
δ[όντος μου], P. Collomp, Recherches sur la chancellerie et la diplomatique des Lagides S. 191.
R
κατ̣α̣[βῆν]α̣ι̣ kann nicht stimmen, denn καταβαίνειν wird nur von Reisen landabwärts oder nilabwärts gebraucht, es kommt aber nur eine Reise des Beklagten nilaufwärts nach Herakleopolis in Frage. Vielleicht ist μ̣ητ̣᾽ ἀν̣α̣[πλε]ῖν oder ähnlich zu ergänzen, E. Berneker, Zur Geschichte der Prozesseinleitg. im ptolem. Recht (1930), S. 87 A. 1.
Nd. M. Th. Lenger, Chr. d’ Ég. 53 (1952), S. 218-46.
r
und vo 12: vgl. Wilcken, Zeitschr. Sav.-Stift. 42 (1921), 130.
I, II, III
→ SB 6 9556
Recto I
Ergänzungsversuch von Foucart, Rev. arch. 1904, S. 166.
Verso I-III
Neudr. Wilcken, Chrestom. 450.
Recto II 13
| δέομαι οὗν ὑμῶν, ἐπειδὴ φυγοδι|κεῖ, τ̣ὸ̣ δίκαιόν̣ μο̣ι ἀ̣π̣ο̣[δ]οῦ[ναι], ὅ[πως] | ἐφ᾽ ὑμᾶς καταπεφευγὼς ὧ τοῦ | δικαίου τετευχώς. κτλ. P. Petr. III Seite XII.
Verso II 13
| μηδ[ὲ λαμβ]ά̣ν̣ε̣σθαι [ἀρ]γύριον κτλ. Pr. Lewald, P. Frankf S. 6 Anm. 2, schlägt vor δανε[ί̣ζ̣ε̣σθαι.
Recto IV
→ C. Ord. Ptol. 5
V
[᾽Επικύ]δους ἀναγγείλαντος, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 221.
V
[.....]σις, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 221.
V
σταθμοῦ [καὶ ἡ δό]σις αὐτῶι, ἢ παρά[τυπος ἢ μή], ἄκυρος, E. Seidl, Studia et Docum. hist. et iuris 18 (1952), S. 337.
V
τ̣[……] . ἄκυρος, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 221.
V
τοῦ στα[θμοῦ εἰς ὑποθήκ]η[ν τεθέντος δέονται ἐπὶ] τῶι τοῦ στα[θμοῦ στερεῖσθαι ἀναποκρίτως. ὁ δ]ὲ παραλαμ-βάνων, E. Seidl, Studia et Docum. hist. et iuris 18 (1952), S. 337.
V
στα[θμοῦ - ± 10 -]η [- ± 12 -] ..... τωι τοῦ στα[θ-μοῦ ] . .ε παραλαμβάνων ε[ἰσπ]ρ̣[α]χ[θ]ή̣σεται ἐπίτιμο̣ν εἰς τὸ βασιλικ[ὸ]ν ὂ ἂ[ν], M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 222.
V
...]ω̣σ ..το· (ἔτους) ι [Δίου] ιε̄, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 222.
V
[τρ]όπωι <ὡι>τινιοῦν·, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 223.
V
[..]ενω̣ . ε̣ι̣ … ς̣ εἰσ̣πραχθήσονται, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 223.
V
μηδ᾽ ἐ̣[πιδαν]ε̣ίζεσθαι, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 223.
V
Λυκομέδηι, M. Th. Lenger, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 225.
V
→ C. Ord. Ptol. 6-10
V
Bei Lesung des Originals wurde deutlich, dass in der Ergänzung von Seidl (B.L. III, S. 145) ἐπί vor τῶι nicht möglich ist, C. Ord. Ptol., S. 13, 3-4A.
21
Vgl. A. E. Samuel, Ptolemaic Chronology S. 93-94.
Siehe unter P. Gurob 2.
Zur Datierung s. E. Meyer, Untersuchungen zur Chronologie der ersten Ptolemäer (Archiv, 2. Beiheft) 19; dagegen J. Beloch, Archiv 8 S. 1.
Vgl. J. Mélèze-Modrzejewski, MNHMH G.A. Petropoulos 1 S. 65-69.Vgl. A. Kasher, The Jews in Hellenistic and Roman Egypt S. 49-51 (zu C.P.J. 1. 19).
κατηγοροῦντας → ὑ̣π̣η̣γ̣ό̣ρ̣ε̣υ̣σ̣α̣ς̣, vgl. Select Papyri 2, Nr. 256 und C.P.J. 1. 19.
ἐσιόντος → ε̣ἰ̣σ̣ι̣ό̣ν̣τ̣ο̣ς̣, vgl. Select Papyri 2, Nr. 256 und C.P.J. 1, 19, 14.
Φοίνικι, F. Uebel, Die Kleruchen S. 235, Anm. 5.
2, 8
Diomedes ist viell. identisch mit dem in P. Petr. 3. 4 Pros.Ptol. 9, S. 281, Nr. 7930.
5
Diomedes ist viell. identisch mit dem in P. Petr. 3. 4 Pros.Ptol. 9, S. 281, Nr. 7930.
6-7, 8-9, 33
Polydeukes (vgl. B.L. 2.2, S. 109) ist viell. identisch mit dem in P. Petr. 3.112 (b), Pros.Ptol. 9, S. 282, Nr. 7942.
9-10
καθισ|[± 7 ]σα̣ν̣τας oder καθιστ[ά|ναι (?) ὁμό(?)]σ̣α̣ν̣τας (Mitteis, Chrest. 21) → καθίσ[αι | αὐτῆι κατομό]σ̣α̣ν̣τας, vgl. C.P.J. 1. 19.
10
Die Lesung Διοσδότου (B.L. 2.2) wird abgelehnt, W. Clarysse, Anc.Soc. 4 (1973), S. 135.
21-23
το̣ῦ̣ ἱμα̣τ̣ίο̣υ κτλ. → το̣ῦ̣ ἱμα̣τ̣ίο̣υ π̣ε̣τ̣[.. | ± 15]ς με και [± 8 πες ἕως ὅτου α ± 15 | ± 10 πολλά]κις Καλλίππου τοῦ πρ[ογεγραμμένου β ± 12], vgl. P. Gurob 2, Z. 21-23.
45, 48
Vgl. J. Triantaphyllopoulos, Das Rechtsdenken der Griechen S. 62, Anm. 30 und S. 179, Anm. 178.
Neudr. Mitteis, Chrestom. 3.
9
[τῶν Πτολεμαίου τοῦ Να]υτᾶ, W. Peremans, E. van ’t Dack, St. Hell. 9 (1953), S. 34-9.
Neudr. Mitteis, Chrestom. 3.
1
᾽Αλεξικράτου τοῦ Θεογένου ᾽Αλεξάνδρου καὶ θεῶν ᾽Αδελφῶν καὶ θεῶν Εὐεργετῶν κτλ. P. Petr. III Seite XII.
Vgl. die Neukonstitution des Textes in P. Gurob Nr. 2; dazu auch oben BL und Wilcken, Archiv 7 S. 69; UPZ 1 S. 467.
Neudr. Mitteis, Chrestom. 21.
διάγραμμα. ∟κβ, Δύστρ[ο]υ ῑτ̄ κτλ. P. Hal. S. 208.
ἀντιλο̣ιδοροῦντος . . [. ἐ]νέπτυσας | [εἰς τὸ πρώσωπον κ]αὶ λαβομέ[νη μ]ο̣υ̣P. Hal. S. 116.
| [τῶν δὲ(?) παρό]ντων ἐπιτιμώντων σοι τε[ ] | κτλ. P. Hal. S. 116.
33f.
L. [ἐν τῶι ᾽Αρσινοίτηι νομῶ]ι, οὗ εἰσαγωγεὺς Πολυδεύκης ∟ κα. μηνὸς Περιτίου | 34 [.. καὶ τὸ ἔγκλη]μα ἔχε̣[ις κληθε]ῖ̣σ̣α ἐνώπια κ̣λήτορες…..φ̣ά̣νης Νι |35 [κίου Θρᾶιξ τὼν] ἑ̣πέργων Ζώπυρος usw.
| [Δωσιθέου μὲν(?) τὸ] ἔγκλημ[α] δ̣ό ντο ς καὶ ῾Η̣ρακλείας κτλ. P. Hal. S. 172.
6/7
Ende - Anfang l. [καθίσαν/…..]τος [ἡμᾶς/….] Πολυδεύ[κου τοῦ εἰσ]αγωγέως.
7
vgl. P. Hal. S. 209 Anm. 1.
26/7
L. etwa [καὶ ἄρξασα] εἴς με χειρῶν ἀδίκων το[ύτους δὲ κατὰ τὸ διάγραμμα ἐπεμαρτυράμην].
11
Ende l. τάδε ἔγνωμεν π[ερὶ |12 τῆς δίκη]ς̣.
13
L. Διοσδότου.
14
L. ]του σαυτὸν statt ]τους α̇ὐτοῦ.
15
Ende l. τῆ̣ (?) ᾽Απίωνος.
16
L. Πασύτιος.
19
L. δι[ότι.
20
Ende l. οὕ[τ]ως ἐτύπ[ωσας, ὥστε.
21
Anfang l. κ]αὶ λαβομ[ένη μου] τῆς.
24
L. [τῶν δὲ παρό]ντων ἐπιτιμώντων σοί τε [καὶ Καλλίππῳ.
25
L. [πλ]ηγῶν, Wilcken, Archiv 7 S. 16, 24f.
26
| [ εἴ]ς με χειρῶν ἀδίκων τ.[ ] | κτλ. P. Hal. S. 116.
28
L. ]τ̣ί̣μ̣η̣μα τῆς δίκη̣ς̣ [Ͱ.
29
L. το]ῦδε ἐν̣[επισκήπ (?)]τομαι ∟ κα.
32
L. ]ς̣ ἡ δὲ.
36
L. τούτου δὲ τοῦ] ἐγ̣κ̣λ̣ήμ̣[ατο]ς̣ ὄντος καὶ usw. Vgl. weiterhin den Wortlaut von P. Gurob 2, 35f.; δὲ ist durch μὲν geschrieben. Die Korrektur über der Zeile lautet:[[Δωσιθέου δὲ οὔτε παρόντος]] [[[αὐτοῦ οὔτε γρα]πτὸν λόγον θεμένου οὔτε καθισάντων τῶν δικα[σ-]][[τῶν ….. τὴν ἐ]πιδειχθεῖσαν μαρτυρίαν οὔτε τὰ δικαιώματα]][[.............] ... ἡμῖν καὶ τῶν τῆς ῾Ηρακλείας δικαιωμάτων]], vgl. P. Gurob S. 17.
45
L. εἴδη. Am Ende ἡμ | 46 [ῖν?
48
L. [γνώμηι τῆι δι]καιο̣τάτ̣η̣[ι.
12
] Παρμενίσκωι Δωροθ[έου]: viell. [Μαρτυρεῖ] Παρμενίσκωι Δωρόθ[εος], Anfang einer Zeugen­aus­sage, P. Heid. 8, S. 47, Anm. 27.
25
Vgl. R. Feist, J. Partsch, F. Pringsheim, E. Schwärtz, Zu den ptolemäischen Prozeßurkunden, Archiv 6, 355f., welche indessen nach Mitteilung Pringsheims keineswegs das Original eingesehen haben. G. v. Beseler, Zeitschrift Sav.-Stift. 48 (1928), p. 585f.; Wilcken, UPZ I 543, 1; Archiv 9, 62.
Neudr. mit Ergänzungsvorschlägen von Feist, Partsch usw. im Archiv VI S. 357.
22f.
ἀξιοῦντός τε |23 π[αρ]εῖναι ᾽Αφθονήτου, ὅπως |24 π[αρ]αγγείληι, bezweifelt v. Beseler, Zeitschrift Sav.-Stift. 48 (1928), 585f. und schlägt statt dessen ἀξιοῦντός τε (sc. ᾽Απολλωνίου) γρ̣[αφ]ῆναι ᾽Αφθονήτω̣[ι] vor (von Bell am Original bestätigt).
15/6
L. οὐ δεδ̣υ̣ |16 νῆ[σ]θαι, Bell, Zeitschrift Sav.-Stift. 48 (1928), 585.
14
Bell bei G. v. Beseler, Zeitschrift Sav.-Stift. 48 (1928), 585f., glaubt ἱε̣ρέ̣ως zu sehen.
21
Bell bezweifelt [ὡσα]ύτως und δυνατόν, Bell, Zeitschrift Sav.-Stift. 48 (1928), 585, und liest am Anfang σ̣α̣[.]υ̣τως (statt σ̣ ist auch ο̣ möglich).
39
Die Erg. ἑρ[ημοδίκ]ωι γν[ώμηι] (B.L. 1, S. 380) wird angezweifelt, P. Heid. 8, S. 24, Anm. 61.
26
Vgl. M. Jager-M. Reinsma, P. L. Bat. 14, S. 114-115.
Nd. mit Ergänzungen M. Th. Lenger, Studi in Onore di U. E. Paoli (1955) S. 460-1.Zu datieren etwa 240 vor Chr., M. Th. Lenger, Studi in Onore di U. E. Paoli (1955) S. 463.
Nur wenig später als 250 v. Chr., H. Bengtson, Die Strategie in der hellenistischen Zeit IIIMünchn. Beitr. z. Pap. 36 (1952), S. 37.
1*-2
[Οὐ δεῖ κρίνειν οὔτε τοὺς δεῖνα] | [οὔτε τοὺς δεῖνα οὔτε τ]οὺς τοπάρχα[ς εἰ τὰ] | κρίματα καθήκει εἰς τοὺς φόρους ἢ τὰ[ς] ὠνά[ς, E. Seidl, Ptolemäische Rechtsgeschichte2 S. 12.
3
φόρους ἢ τα[.]ενα[. . .]| ἀλλ᾽ ἢ τὸν νομάρχην κτλ. P. Petr. III Seite XIV.
5
᾽Εὰν ἐμβῇ, E. Seidl, Ptolemäische Rechtsgeschichte2 S. 12.
6
[τετράποδ]ον, E. Seidl, Ptolemäische Rechtsgeschichte2 S. 12 und Jager-Reinsma, Ptolemäische Rechtsgeschichte2 S. 12.
9
καταβλάψηι ἐκ κρίσεως, πρὸ κρίσεως δὲ μη|θεὶς ἐνεχυραζέτω μηδὲ ἀποβιαζέσθω κτλ. P. Petr. III Seite XIV.
11
μηδεμ[ιᾶ]ι, M. Th. Lenger, Studi Paoli S. 460-461 und E. Seidl, Ptolemäische Rechtsgeschichte2 S. 12.
12-13
ἐνε|χυράσηι [ἢ ἀποβιάσηται], E. Seidl, Ptolemäische Rechtsgeschichte2 S. 12.
13-14
παρα|χρῆμα, E. Seidl, Ptolemäische Rechtsgeschichte2 S. 12.
27
V
Vgl. O. Guéraud, Enteuxeis S. 231.
28
17
ἐξετ̣ρ̣[ύγησαν], M. Hombert, C. Préaux, Chr. d’Ég. 34 (1942), S. 290.
V
Neudr. Mitteis, Chrestom. 45.
V
ἐν τοῖς κ̣α̣ν̣αβίν̣ο̣ις, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 54 (1952), S. 412.
12
| φυλακίταις, οὐ[χ] εὑρόντες δὲ κτλ. P. Petr. III Seite IX.
Neudr. Mitteis, Chrestom. 13.
9-10
Vl. διὰ [τῆς ἐντεύξεως], P. Collomp, Recherches sur la chancellerie et la diplomatique des Lagides S. 155.
1
χαίρειν. Τοῦ Μεσορἡ τὴν ἀναφορὰν [ ] | [ κ]αὶ Σάννον πράξας Ͱ σ καὶ Ζώπυρον Ͱ χ καὶ [ἃ] ἔχεις παρὰ αὐτοῦ [ ] | κτλ. P. Petr. III Seite IX.
31
→ S.B. 20. 14183.
Zu datieren: 15.2.198 v.Chr., W. Clarysse, E. Lanciers, Anc.Soc. 20 (1989), S. 125-127.
2
Σ[…..]ου → Σο̣χώ̣τ̣ου, Pros.Ptol. 8, S. 72, Nr. 837.
8
das Arurensigel ist hinter die Ziffer ρ zu setzen.P. Petr. III Seite IX.
10-14
Vollst. Ausgabe der Z. 10-14: W. Clarysse, E. Lanciers, Anc.Soc. 20 (1989), S. 126. Abdruck als S.B. 20. 14183 vorgesehen.
32
9-12
Photo: Ch. Armoni, Z.P.E. 160 (2007), S. 227.
10
τοῖς ἐκ ̣ ̣ ̣ ̣ιδ̣ φυλακίταις ἕως ̣[ ̣ ̣] παρά → τοῖς ἐκ ̣ ̣κ̣ε̣ω̣ς̣ (wohl ἐκ Κ̣ρ̣ή̣κ̣ε̣ως)  ̣ ̣ φυλακίταις ἐᾶσ̣α̣ι̣ Πᾶιν̣ (nach dem Photo), Ch. Armoni, Z.P.E. 160 (2007), S. 227 mit Anm. zu Z. 10.
11
κ̣αὶ̣ ἀνεῖπαι περὶ τῶν αὐτῶν ((ἄρουραι)) χα̣( ) ((ἄρουραι)) κ → κατανεῖμαι περὶ τὴ̣ν̣ ἀυτὴ̣ν κώ(μην) ἀ̣ρ̣(άκου) (ἀρούρας) κ (nach dem Photo), Ch. Armoni, Z.P.E. 160 (2007), S. 227.
11-12
πα[ρὰ] τού|των ἀσφάλειαν → πα[ρ’ α]ὐ̣τ̣ο̣ῦ̣ | τὴν ἀσφάλειαν (nach dem Photo), Ch. Armoni, Z.P.E. 160 (2007), S. 227.
R
..[.]κ̣εν̣[.]ει: viell. zu lesen λ[ο]γεύει, aus grammatischen Gründen aber sehr zweifelhaft, W. Clarysse, Z.P.E. 72 (1988), S. 244.
Neudr. Wilcken, Chrestom. 262.
II 5
καθότι ἄν σ̣υ̣ν̣ [κρί]νηις, ἵνα καὶ | κτλ. Zucker, Beiträge zur Kenntnis der Gerichtsorganisation im ptol. u. röm. Ägypten S. 75 (Philol., Supplem. XII, 1).
III 1-4
[ ± 7 ]|[ ± 5 Εἰ] | ἐπιλελό|γευκεν καὶ | μὴ πεποίη|κεν (B.L. 1, S. 381) → Εἴ τι λελό|γευκεν καὶ | μὴ πέπτω|κεν, W. Clarysse, Z.P.E. 72 (1988), S. 244.
III 2
[.......] | [..... Εἰ] | ἐπιλελό|γευκεν κτλ. Druffel, Krit. Vierteljahrschr. XIV (1912) S. 540.
V II 6a
Zwischen Z. 6 und 7 zu lesen: Paragraphus ἀπεδ̣όθ̣η ᾽Α̣ρ̣ι̣σ̣τ̣ο̣κρίτωι, W. Clarysse, Z.P.E. 72 (1988), S. 244 (am Original).
V III
,,Docket" mit Entscheidung des Oikonomos, vgl. die Übersetzung der Z. 1-11 bei W. Clarysse, Z.P.E. 72 (1988), S. 244.
Poseidion (vgl. B.L. 7, S. 161) war Stratege in 217/216 v.Chr., P.R. Swarney, Z.P.E. 61 (1985), S. 163 und Anm. 5 und S. 166 (zu Pros.Ptol. Nr. 309).
| δὲ καὶ μέρη τινὰ τοῦ καταφθαρμένου κτλ. W., A III 517.
R
Ποσειδωνίωι → Ποσειδίωνι[[ωι]], W. Clarysse, (am Original) Pros.Ptol. 8, S. 46, Nr. 309.
Recto b 2
γῆς τοῦ ς ∟, μηνὸς | κτλ. W., A III 517.
Recto b 8
Poseidon war Stratege in 219/218 - 217/216 v.Chr. (B.L. 8, S. 270 irrtümlich nur 217/216) vgl. R. Ziegler, Z.P.E. 106 (1995), S. 190 zu P. Enteuxeis 100.
Rº b 11
κ̣α̣ί . . . . . . . → κ̣α̣ὶ̣ Σ̣ο̣κ̣μ̣ῆ̣ν̣ι̣ν; ποιήσηι ist 2. Person Aorist Medium statt 3. Person Aorist Aktiv, Ch. Armoni, Z.P.E. 136 (2001), S. 171.
Verso 12
ἀσφάλειαν τῶν εἰς τὸ ζ ∟ἐκφορίων. ῎Ερ[ρ]ωσο. ∟ς, ῾Αθὺρ[.]. | ῾Αρμᾶις Βακχίωι χαίρειν. ᾽Εκομισάμην τὴν παρὰ σοῦ γραφεῖσάν μοι ἐπιστολήν, | ἐν ἥι ὑπέκειτο καὶ ἣν ἔφησθ̣α̣ ἐπισταλκέναι (= ἐπεσταλκέναι) σοι κτλ. W., A III 517. So sicher (W., A III 517). W., A III 518.
Verso 16
| ῎Θρου τοῦ βα(σιλικοῦ) γρ(αμματέως) ἄλλη κτλ. W., A III 518.
V
῾Αρμάιος: zur Identifikation vgl. W. Clarysse, Enchoria 15 (1987), S. 17-18.
Wohl zu datieren: 210-183 v.Chr., W. Clarysse, E. Lanciers, Anc.Soc. 20 (1989), S. 125-127.
Zu datieren: 215 v.Chr., F. Uebel, Die Kleruchen S. 138, Anm. 3.
Neudr. Petr. III Seite X.
R
Ptolemaios war Epimeletes im herakleopolitischen Gau, P.R. Swarney, Z.P.E. 61 (1985), S. 162 und 165-166.
Verso 12
| [᾽Αλ]εξανδρείαι ῆ̣ὲ̣ν̣ι̣ῆ̣ι̣/χ̣ώ̣ρα̣ι̣ |….|α̣ρ.[ | | κτλ. Pr.
Verso 17
ἐπισκόπων, [οἰ]ς ἂ[ν| | ὁ διοικητὴς συντάσσηι κτλ. P. Hal. S. 91.
Verso 20
| ἐ̣ὰ̣ν̣ δ ὲ ἦ̣ ι̣ κρίμα κτλ. Lewald, P. Frankf. S. 47.
V
Neudr. Mitteis, Chrestom. 5.
V
Nikanor war Epimeletes um 218 v.Chr., P.R. Swarney, Z.P.E. 61 (1985), S. 165.
V
Dionysodoros war Epimeletes um 219 v.Chr., P.R. Swarney, Z.P.E. 61 (1985), S. 165.
V
[᾽Αλ]εξανδρείαι ἢ ἐν τῆι χώραι [….] ἀρχ[είοις, E. Berneker, Die Sondergerichtsbarkeit im griech. Recht ÄgyptensMünchn. Beitr. z. Pap. 22 (1935), S. 50.
I 6
᾽Απολλωνίδου → ᾽Απολλωνίου, W. Clarysse, Pros.Ptol. 8, S. 76, Nr. 890.
I 6
Erg. μετὰ Π[άσιτος τοῦ], Pros.Ptol. 8, S. 69, Nr. 745.
II 10
In εν . ψευρτα ist viell. der Ortsname Ψεῦρ enthalten, F. Uebel, Die Kleruchen S. 117, Anm. 2.
Verso III 6
| φαχέψων | βαλανείων | κτλ. G.-H., Hib. I 112, 77 Anm.
38
8
Φανήσιος → Φανήυιος, W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88 Anm. 20.
13
Σιλύβκιος → Σισύβκιος, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 55.
39
II 6-7
τὸ ᾽Α̣μ̣μ̣ω̣νι|εῖον, T. Reekmans, Chr.d’Ég. 43 (1968), S. 170.
40 (a)
III 1
Δ . μ .. [ …. δι(οικήσεως) διὰ γραμμα]τέως, E. van ’t Dack, St. Hell. 7 (1951), S. 44-5.
IV 1
Διονυσοδώρου δι(οίκησις), E. van ’t Dack, St. Hell. 7 (1951), S. 44-5.
V 1
᾽Αντιφάνους δι(οίκησις), E. van ’t Dack, St. Hell. 7 (1951), S. 44-5.
40 (b)
I 1
Σιμαρίστου δι(οίκησις), E. van ’t Dack, St. Hell. 7 (1951), S. 44-5.
II 1
Δι[– δι(οίκησις)], E. van ’t Dack, St. Hell. 7 (1951), S. 44-5.
14 1
ἀπὸ τοῦ Μοντίλα (Dorfname) μ[ ] | κτλ. W., A III 518. Pr.
7f.
= P. Petr. 2 (8) L. ἐκ τοῦ βα[σιλικοῦ εἰς ἕκασ] |8 τον πυρ(οῦ) (ἀρτάβην) α, F. Oertel, Liturgie S. 19, 6.
Englische Übersetzung: R.S. Bagnall - R. Cribiore, Women's Letters from Ancient Egypt, S. 110.
= Witkowski, Epistulae Privatae2 Nr. 9
3
| ἔχομαὐνῆς/εν πρὸς τ [ὸ] τὸν χόρτον [[τ|ὴν |]] | [[εισκομίσαι/ταχίστην κομισθῆ-ναι]] | κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
R II 36f.
L. ἀπεργάσωνται, |87 [λήμψονται τὸ λοιπόν], Schnebel, Die Landwirtschaft im Hellenist. Ägypten S. 48.
R III 28
Θμοινώτιδι, W. Peremans, E. van ’t Dack, St. Hell. 9 (1953), S. 64 u. 72.
R III 30
Zu Χα̣ν̣α̣α̣ναῖν vgl. A. Kasher, The Jews in Hellenistic and Roman Egypt S. 67, Anm. 166.
R III 35
Πτεροφορί̣ω̣ν̣ο̣ς̣ ἐποίκιον ist identisch mit Πτεροφόρου ἐποίκιον, S. Daris, Aeg. 64 (1984), S. 110-111; vgl. A. Calderini, Dizionario dei nomi geografici 4 S. 202 s.v. Πτεροφόρου.
V II 8-9
Παθήμιος̣ [ἀρχιτέκτονος], W. Peremans, E. van ’t Dack, St. Hell. 9 (1953), S. 54.
Vgl. A. E. Samuel, Ptolemaic Chronology S. 92.
R
Neudr. von Kol. III, 11 bis IV einschl. Wilcken, Chrestom. 387.
Verso III 7
ἐγγύους καταστήσ[ηι κ]αὶ τὴν ἐργολαβίαν κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
Verso IV 1
| παρὰ κ̣[ώμ]η̣ν τὴν καλο|υμένη|ν Περσέαν κτλ. G.-H., Teb. II S. 395.
Verso IV 3
| διὰ τὸ [ύ] φάμμον εἶναι κτλ. P. Petr. III Seite X.
=+ → P. Petr. 2 9 (2); BL 2.2, 111
Übersetzung bei Schubart, Ein Jahrtausend am Nil2 Nr. 18.
ἀδικεῖσθαι | ἐνταῦ[θα] ἤδη μῆνας ι κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
12
| [῾Α]ρ[μάχ]ορος. ῎Εγραψάς μοι κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
19
| ἔτι δὲ τὸ Μεγᾶτος πλήρωμα κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
21
Zur Trierarchie vgl. H. Hauben, Anc.Soc. 21 (1990), S. 119-139.
R
ν̣[ο(μαρχίας)] statt γ̣[ῆς], W. Peremans, E. van ’t Dack, St. Hell. 9 (1953), S. 59.
Recto 1
| [ ]..κλύζεται | ύπὸ τοῦ κλύδ[ω]νος. Καλῶς οὗν | ποιήσεις συντάξας κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
Verso 1
| [τήν πρότε]ρον ἐπιστολ[ὴν ] | [ θ]ύρ[αν] ἠνώιξαμεν .. [ ] | κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
Recto 6
γράψας | εὐτονώτερον. | ῎Αλλη. ῏Ησαν κτλ. P. Petr. III Seite X.
9
Ptolemais ist Ptolemais Hormu, P. Petaus, S. 23.
V 7
| καὶ τὸ [κα]τὰ Ψεοννῶφριν κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
V 20
ἀ[φ]έσεων ἠνώιξαμεν β θύ[ρας]. | Μὴ οὖν γράφε ἡμῖν, ὅτι οὐθέ[ν]α λό|γον πεποιήμεθα κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
V 24
Die Fortsetzung dieses Textes ist abgedru̇ckt in Petr. II Seite 120 unter Nr. 37, 2 b Verso. Berichtigungen unter Petr. II 37.
διοικη | τὴν ἀνενένκωμεν ὧν συντάσσηι πραχθή|σεται κτλ. P. Petr. III Seite X. P. Petr. III Seite XVII.
2
πάκτωσιν [[Ͱπ]] | πρότερον κτλ. P. Petr. III Seite XVII.
4
πλέο[[υσαν τὴν λιθηγὸν/ν τὸ πλοὶον]] [[καὶ]] στεγνὴν | κτλ. P. Petr. III Seite XVII.
5
| ἐν τῆι κικιοφόρωι ρλ η′ γ′ | κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
6
διὰ τ̣ὸ̣ παλα̣ι̣ | ο/τέραν ἤδη εἶναι κτλ. P. Petr. III Seite XVII.
16
καὶ μετενηκαι τὴν πλίνθον [[ὅ/ου]]ση ἂν ἦι κτλ. P. Petr. III Seite X.
20
Παῶς ῞Ωρου Νεχ̣ύθης Σεμφθέως κτλ. P. Petr. III Seite XVII.
21
Πετεσοῦχος Νεχ[θε]νίβεως Ψενοβάστις Πάσιτος κτλ. P. Petr. III Seite XVI.
26
Σοκέως τοῦ ῾Αρφωνίχου τὸ [[μέγα χῶμα]] κτλ. P. Petr. III Seite XVII.
7-8
χρημα|τίσαις → χρημά|τισον, W. Clarysse, Z.P.E. 17 (1975), S. 252.
11
ἀνενένκωμεν ὧν (B.L. 1) → ἀνενένκωμεν ἄν ( = ἐάν), Mahaffy, vgl. W. Clarysse, Z.P.E. 17 (1975), S. 252.
23
Ptolemais ist Ptolemais Hormu, P. Petaus, S. 23.
1
Zu κάμινος ,,Magazin"(?) vgl. G. Husson, Archeologia 30 (1979), S. 18 (fehlerhaft zu P. Petr. 2. 36).
10
καὶ τὸν ἀπὸ τῆς οἰκοδ̣ομ̣ῆ̣ς̣ χο̣ῦν | πλίνθου κτλ. P. Petr. III Seite XVII.
4
Κωίλει εἰς τὸν [ἐν Λάγιδ]ι, E. Van ’tDack, Festschrift Oertel S. 65.
6
| ῞Οναρώυτι τοῦ (lies τῶι) ἐμ Φοὰν τὰ ἐδάφη | κτλ. P. Petr. III Seite X.
Auf Grund des Weizenpreises zu datieren vor 222 v.Chr., H. Cadell, G. Le Rider, Prix du blé S. 51.
1
Σόχτου → Σοχώτου, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 55-56 und Anm. 16, 17.
48
3
| [ ] ἕξ, ἐπίγει γὰρ ἡ χρεία | κτλ. Pr.
5
μυρίκινον | [ τῆς συμ]π̣τώσεως τῶν θυρῶν κτλ. P. Petr. III Seite X.
49
→ Nd. zusammen mit P. Petr. 2. 39 (h): S.B. 24. 15937 und siehe die Ber. dazu.
→ (+ P. Petr. 2. 39 SB 24 15937 der Ber. dazu), vgl. die Einl. zu P. Petr. 3. 49 und siehe W. Clarysse, Archeologia e papiri S. 70-71 mit einigen kleineren Präzisierungen der Transkription und den folgenden Ber.:
2
Δήμωι → Δά̣μιδ̣ι
4
(λοιπόν) → πλ(εῖον)
7
Δημάδι → Δ̣ά̣μ̣ιδι
8
μ̣[εγ]ά̣λ̣[οι → ..[
11
→ [Δ]ά̣μ̣ι̣δ̣ι ̣[.
52
2
υἱοῦ Πτολεμαίο[υ∟κβ ], | ἐφ᾽ ἱερέως Πέλοπ[ος τοῦ ᾽Αλ]εξά[ν-δρου] ᾽Αλεξάνδρου καὶ θεῶν κτλ. Hib. I S. 372.
5
Μνησιστράτης τῆς Τε[ισάρχου] | (hier abgebrochen). 5 Hib. I S. 372.
Zu datieren Ende April oder Anfang Mai 267 v. Chr., A. E. Samuel, Ptolemaic Chronology S. 66.
10
εἰς τὸν νομ[ὸν ὑπηκόους] | ὄ̣ντας τῶι βασιλεῖ κτλ. Pr.
Nd. S. Witkowski, Epistulae Privatae Graecae Nr. 29.
Nd. S. Witkowski, Epistulae Privatae Graecae Nr. 27.
Nd. S. Witkowski, Epistulae Privatae Graecae Nr. 19.
(r)
Nd. S. Witkowski, Epistulae Privatae Graecae Nr. 28.
(q)
Nd. S. Witkowski, Epistulae Privatae Graecae Nr. 26.
9
μέλιτος ἵνια ζ˪ statt λεπτοσίνια ζ˪, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 54 (1952), S. 411.
8
ἐπιδείξειν steht für ἐπιδεῖξαι. Crönert, Lit. Zentralbl. 1907 S. 956.
3
εἰ ἔρρω | [σαί] τε καὶ τἇλλά σοι κατὰ | [γ]νώμην ἐστίν, κτλ. P. Petr. III Seite XVIII.
1
Λ̣άχης → Παχῆς (nach dem Photo), Pros.Ptol. 9, S. 59, Nr. 5394.
2
γενό|[μ]ενος ἀρχιγερεὺς [[ἐν τῶι δ∟]] | κτλ. P. Petr. III Seite XX. G.-H., Hib. 62, 8 Anm.
Ergänzungsversuche von Crönert und von Witkowski. Crönert, Lit. Zentralbl. 1907 S. 956. Epistolae privatae 26.
1
[ χαίρειν. Εἰ] | [ἔρρ]ωσαι καὶ [ό ἀ]δελφὸς | κτλ. Witkowski, Epistolae privatae 28.
Vgl. A. E. Samuel, Ptolemaic Chronology S. 77, 81, 87-88.
Zur Interpretation s. Wilcken, UPZ 1 S. 508; W. L. Westermann, P. Columbia 1 S. 27f. Letzterer deutet
8f.
den Satz Z. 8f. τὸ δὲ ἀπ̣ὸ̣ [τ]ούτων πρότερον πείπτον usw. folgendermaßen: die sich darausfrüherfür das βασιλικόν ergebenden Einnahmen sollen von diesem an die Inhaber der δωρεαί gegeben werden.
10
L. διδόναι παρ᾽ αὑτοῦ statt αὐτοῦ (= de suo = ἐκ τοῦ βασιλικοῦ), J. C. Naber, Aegyptus 12 (1932), S. 246.
13-14
Zur Doppeldatierung siehe die Ber. zu P. Cairo Zen. 3. 59327, Z. 111.
I 7
L. Δαμά]σται usw., P. M. Meyer, P. Hamb. 1 Nr. 115 Anm. zu 1; dahinter ᾽Αντιόχου |8 [τοῦ Κρατίδα, J. C. Naber, Aegyptus 12 (1932), S. 246.
II 5
Δ̣ε̣ ist aufzulösen in δε(κανικός). G.-H., Hib. 30, 13 Anm.
II 8
statt Πέρσην lies Πέρσης. P. Petr. III Seite XI.
Der Text stammt wohl aus der Gegend von Philadelpheia, F. Uebel, Die Kleruchen S. 205, Anm. 1.
4 u.ö.
ο/υ ist keine Kürzung von οὐραγός, Smyly, vgl. F. Uebel, Die Kleruchen S. 205, Anm. 4.
4
Statt τε(ταρτομερίτης) (vgl. Pros.Ptol. 2, Nr. 2369) ist auch τε(λάρχης) möglich, E. Van ’t Dack, Ptolemaica Selecta S. 52.
6
ε/π̣ steht für ἐπ(ι)λο(χαγός), W. Clarysse, Pros.Ptol. 8, S. 148, Nr. 2259.
6
οὐ(ραγὸς) ist nicht möglich; ε/π ist vl. ἐπ(ιλάρχης), W. Peremans, E. van ’t Dack, St. Hell. 8 (1952), S. 54 Nr. 2259.
7 u.ö.
Die Auflösung πε(ντακοσίαρχος) oder πε(ντηκόνταρχος) ist nicht möglich, W. Peremans, E. van ’t Dack, St. Hell. 8 (1952), S. 58-60 Nr. 2303 u. ö.
9
[ἀργυρίου ὀφθαλμοφανοῦς δραχμὰς δέκα] τρεῖς, H. Kühnert, Zum Kreditgeschäft S. 55, A. 6.
10
[μῆνας ἀπὸ μηνὸς……….ἀτόκους] ἀποδότω, H. Kühnert, Zum Kreditgeschäft S. 55, A. 6.
11
τῶι ὡρισμένωι ἑ]πταμήνωι → τῆι ὡρισμένηι ἑ]πταμήνωι, W. Clarysse, Anc.Soc. 21 (1990), S. 40.
14
[ὡς ἐκ δύο δραχμῶν τῆι μνᾶι κατὰ μῆν]α, H. Kühnert, Zum Kreditgeschäft S. 55, A. 6.
15
[καὶ ἡ πρᾶξις ἔστω………ἐκ…]…αμ, H. Kühnert, Zum Kreditgeschäft S. 55, A. 6.
16
[……κατὰ τὸ διάγραμμα· ἔγγυοι, H. Kühnert, Zum Kreditgeschäft S. 55, A. 6.
16-17
Μηνοδώ|[ρα μετὰ κυρίου τοῦ δεῖνος] … Μακεδόνος, F. Uebel, Die Kleruchen S. 233, Anm. 1.
20
[οὗ ἂν ἐπιφέρηται· Μάρτυρες], H. Kühnert, Zum Kreditgeschäft S. 55, A. 6.
21-22
Κὰρ |[τῆς ἐπιγονῆς, F. Uebel, Die Kleruchen S. 233, Anm. 2.
1 I 8
Die Erg. [τοῦ Κρατίδα (B.L. 2.2, S. 111) und [τοῦ Κεββᾶ (siehe Pros.Ptol. 9, S. 3, Nr. 4998) werden abgelehnt, E. Van ’t Dack, Chr.d’Ég. 60 (1985), S. 391.
Über die Datierung vgl. G.-H., Hib. 1 S. 373.
2
Σωτῆρος | [∟ x, ἐφ᾽ ἱερέως Μηδείου ] τοῦ Αα[ά]γ̣ο̣νος | ᾽Αλεξάνδρου καὶ θεῶν ᾽Αδελφῶν, κανηφόρου ᾽Αρσ[ινόης] | Φιλαδέλφου Ματέλας τῆς ᾽Αναδροκάδους, Με[σορὴ ..] | κτλ. Plaumann, Pauly-Wissowa RE. VIII unter ἱερεῖς, 12 b.
2
Λα[ά]γ̣ ο̣ νος (B.L. 1, S. 383) → Λάμπωνος, J. G. Smyly bei B.G.U. 6. 1227, Anm. zu Z. 3 (am Original); diese Lesung wird gestützt von P. Chic.Hawara 6, wo Lmpn steht, vgl. dort, S. 35, Anm. B.
5
̣ ̣ καὶ Κερκι ̣[ ̣] ̣ → ὁς καὶ Κερκίω̣ν̣ und am Ende ἀν̣[τιγραφεῖ] → ἀν̣τ̣[ιγραφεῖ], W. Clarysse (am Original) bei T. Derda, Ἀρσινοΐτης νομός, S. 78 mit Anm. 52.
7-8
τοὺς τ̣ ̣ ̣ ̣[ ̣ ̣] ̣| ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣.̣ .̣ → καὶ τοὺς το̣ύ̣τ̣[ων] | γ̣ο̣ν̣εῖς ει μην (corr. ex ει μεν, l. ἦ μήν: Eidesformel), W. Clarysse (am Original) bei T. Derda, Ἀρσινοΐτης νομός, S. 78 mit Anm. 53.
7
θεοὺς ᾽Αδελφοὺς τοὺς [τ ο] ύ | των γονεῖς κατασταθεὶς κτλ. Pr. (nach Hib. 38).
1-5
Ergänze z.B. [πραγματεύεσθαι περὶ τοῦ τὰ σπέρματα κατα-θέσθαι] εἰς τὴν γῆν ὀρθῶς καὶ δικ[αίως καὶ οὔτε αὐτὸ]ν νοσφίσασθαι (l. -σεσθαι) [οὐδὲ ἄλλωι ἐπιτρέψειν] ἀλλ᾽ ἐάν τινα αἴσθωμαι κακο[ποιοῦντα περὶ] τὰ σπέρματα ἀποστελε[ῖν αὐτὸν ἐπὶ σὲ] μετὰ φυλακῆς, P. Tebt. 3 1. 703, 49-57.
περὶ ὧν ἐπι[κέκληκά σοι] ἐν Πτολεμαΐδι τ̣ο̣ῦ̣ [ὅ]ρμ[ο]υ δια-λύομαι [πρὸ]ς σὲ περὶ πάντων κ[αὶ ο]ὐθέν σοι μὴ ἐπι-[καλ]έσω οὔτε ἐγὼ ο̣ὔ̣τε ἄλ[λ]ος ὑπὲρ ἐμοῦ, P. Tebt. 3 1 S. 326 A. 1.
1-7
Zu datieren: 259/258 v.Chr., J. IJsewijn, De sacerdotibus S. 24, Nr. 27.
Neudr. Wilcken, Chrestom. 110.
7
Φίλιππον Πευκολάουτὸν | ἐγλαβόντα κτλ. P. Petr. III Seite XVIII.
11
oberhalb der Zeile steht χα(λκοῦ) πρὸς ᾱρ̄, d. i. ἀρ(γύριον). Plaumann, Pauly-Wissowa RE. VIII unter ἱερεῖς, 12 b.
13
Εὐρώναξ → Κ̣υδρώναξ, W. Clarysse, Pros.Ptol. 8, S. 92, Nr. 1212.
15
τὸ γινόμενον | τῶι ἐγκυκλί(ωι) τκε κτλ. P. Petr. III Seite XVIII.
16
Ergänze [ἐκδιδόσθω], J. C. Naber, Mnemosyne 53 (1925), 424.
Die Auflösung μο(νῆς) (vgl. B.L. 5, S. 84) wird gestützt, A.R. Scaife, Z.P.E. 71 (1988), S. 106, Anm. 11; zur Bedeutung vgl. A.R. Scaife, Z.P.E. 71 (1988), S. 106.
(a) 4
Wahrscheinlich αὐτοῦ ὁμ(οίως) Ͱ κ, T. Reekmans, Chr. d’ Ég. 60 (1955), S. 373.
Fortsetzung des Textes in Petr. III Seite 8.
vgl. UPZ 1 S. 512 zu I 12.
7
Die Erg. Αντ…ου → ᾽Αντιόχου, vgl. Pros.Ptol. 9, S. 37, Nr. 5264.
Εἰφεῦς → ῾Ετφεῦς, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 55 und Anm. 12.
M̊ ist vl. in μο(νοπωλίας) oder μο(νῆς) (= παραμονῆς) aufzulösen, F. Uebel, Actes Xe Congrès de Pap. S. 180.
Zu datieren um 225 v.Chr., vgl. P. Count 1. 26, Anm. zu Z. 130.
I 23
Τεορεμμαίτος → Σεθρεμπάιτος; Τεορεμμαις ist ein „ghost placename“, W. Clarysse in P. Horak 81, S. 279, Anm. 5.
II 16
Μανρῆς Ασφ ̣ ̣ ̣ος → Μαρρῆς ῾Ασφεῦτος (am Original); identisch mit Marres in P. Lille dem. 2. 51 und P. Petr. 3. 66 (b) III, Z. 3, W. Clarysse in P. Horak, S. 280 und Anm. 11.
II 21
̣ρσεβο̣υ̣νι̣α̣ν Ὥ̣ρ̣ο̣υ → Ἕ̣ργεβθ̣ι̣ν Ῥαγ[όμιος]; die Person ist auch bezeugt als Ḥr-i3bty Rc-wnm in P. Lille dem. 2, vgl. W. Clarysse in P. Horak, S. 280.
II 23
Θενῆς ist weiblich (gegen Preisigke/Foraboschi), G. Bastianini, Z.P.E. 44 (1981), S. 151.
III 4
Πασ ̣ν Νεκθενίβιος: identisch mit Pa-Šw Sohn des Nḫt-nb-f in P. Lille dem. 2. 62 und 66, W. Clarysse in P. Horak, S. 280.
III 6
Α..μηνις → Θοτμῆνις, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 56, Anm. 19.
IV 14
Στοτο.ιος → Στοτοήτιος, W. Clarysse, Life in a Multi-Cultural Society S. 54.
IV 14-15
....]|σκον Διονυσίου Θ.[ → ῾Ερμαί]|σκον Διονυσίου Θε[αδελφείας], identisch mit dem in P. Petr. 3. 66 W. Clarysse, Life in a Multi-Cultural Society S. 54.
Zu datieren: Ende des 3. Jahrh. v.Chr., viell. in das 2. Jahrh. v.Chr., W. Clarysse, R. Bogaert, Anagennesis 3 (1983), S. 21, Anm. 2.
→ Nd.: P. Count 1. 14.
Neudr. Wilcken, Chrestom. 66.
→ Nd.: P. Count 1. 16.
→ Nd. mit neuen Fragmenten: P. Count 1. 19.
→ Nd. mit neuem Fragment: P. Count 1. 20.
R
Nd. C. P. J. 1. 34.
→ Nd.: P. Count 1. 18.
1 u.ö.
γε( ): statt γε(ωργοῦ) viell. eher γέ(ροντος), C.P.R. 13, S. 47, Anm. 72.
7
Αχομμ…ιος → ᾽Αχομμνεῦις (nach dem Photo), W. Clarysse in D.J. Crawford, J. Quaegebeur, W. Clarysse, Studies on Ptolemaic Memphis S. 116 und Anm. 4 (fehlerhaft zu Z. 27).
13
Zu lesen: Νεμνῶφρις, W. Clarysse, J. Quaegebeur, Das Römisch-Byzantinische Ägypten S. 71, Anm. 45.
9
βμν, d.h. (δι)μν(αῖος), statt βαν, P. Tebt. 3 2. 843. 14.
9
βμν ( = (δι)μν(ώους)) statt βα̣ν, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 54 (1952), S. 410.
4
βμν, d.h. (δι)μν(αῖος), statt βαν, P. Tebt. 3 2. 843, 14.
4
βμν ( = (δι)μν(ώους)) statt βαν, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 54 (1952), S. 410.
5
Ergänzung ὀνηλά[τας ist richtig. W., A III 519.
4
Φενεβιέως ist Ortsname, nicht Personenname, P. Köln 2. 99, Anm. zu Z. 1.
1
| [ὄ]λ̣υρα τοῖς μ[όσχοις] | κτλ. W., A III 519.
5
| [ὄλυ]ρα τοῖς μόσχοις κτλ. W., A III 519.
63
Wohl zu datieren: 245/244 v.Chr., R. Bogaert, Z.P.E. 68 (1987), S. 60.
3
κάτεργον ἡμ̣ε( ): zu übersetzen „tous les frais de fonctionnement“, nicht „daily wages“, R. Bogaert, Anc.Soc. 31 (2001), S. 190.
7
Zur Trierarchie vgl. H. Hauben, Anc.Soc. 21 (1990), S. 119-139.
1
ἡ]μῖν statt ὑ]μῖν, P. Kool, De phylakieten in Grieks-Romeins Egypte S. 124 A. 79.
2
σοι ἔντευξιν statt μοι ἐ., P. Kool, De phylakieten in Grieks-Romeins Egypte S. 124 A. 79.
11
| τὸ λοιπὸν τὴς [ λείας ] | κτλ. P. Petr. III Seite XX.
66
passim
῾Ερμαίσκος Διονυσίου begegnet auch in P. Petr. 3. 58 IV, Z. 14-15, siehe die Ber. dazu.
I 13
Μανρῆς Τεῶτος ist wohl identisch mit M3c.t-Rc-pa-t3.wy Sohn des Ḏd-ḥr (Teos) in P. Lille 2. 51 und P. Petr. 2. 28 IX, Ζ. 16, W. Clarysse in P. Horak, S. 280 und Anm. 12.
III 2-3
Σοκονῶπις und Μαρρῆς sind identisch mit Sbk-Hcpy Sohn des Harmiysis und Marres Sohn des Ḥry-šf-iw in P. Lille dem. 2. 51; Μαρρῆς auch mit dem in P. Petr. 3. 58 (e) II, Z. 16 (siehe die Ber. dazu), W. Clarysse in P. Horak, S. 280.
3
| [ἀ ξ ι ῶ, ἐά]ν σοι φαίνηται, γράψαι ὦι καθήκει, | [τ ι θ έ ν α ι] ταῦτα εἰς πρᾶσιν κτλ. W., A III 519.
Zu datieren nach 238-237 v.Chr., F. Uebel, Atti dell’ XI Congr.Pap. S. 364, Anm. 4.
4
ἀπὸ δὲ τῶν ἐ[κ]εῖ(?) παταγε̣ι̣νομέν̣ων [ ]| κτλ. P. Petr. III Seite XIX.
→ Nd. zusammen mit P. Petr. 3. 93 R°: P. Count 1. 12.
→ Nd. zusammen mit P. Petr. 3. 93 Vo: P. Count 1. 13.
(a) 6
Τα̣λιάσιος → Τααράσιος, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 54.
Verso 6
| [ ] ὑφίσταμαι ὑμῖν ἐγγυήσειν περιστερώνος | [ ] εἶναι [[ὐπερβάλλον]] | [ ]και εἶναι τὸ ὑπερβάλλονͰρκ | [ ]ων καὶ τοὺς ἐγγόους (oder ἐγγυητὰς) καταστήσω. P. Petr. III Seite XIX. W., A III 520.
I 6-8
Die κεράμια sind nicht als μετρηταί aufzufassen, es gibt also keine 5-Chous, 6-Chous, 7-Chous oder 8-Chous Metreten, N. Kruit - K.A. Worp, Archiv 45 (1999), S. 103.
II 2
| Πολέμων Κερκίωνο [ς ] | κτλ. P. Petr. III Seite XI.
71
3
λόγος χλωρῶν | παρὰ κτλ. P. Petr. III Seite XIX.
10
[ Παχνοῦβις Σοκνούχιος | κτλ. P. Petr. III Seite XIX.
23 a
(einzuschieben) Σισοῦχος ᾽Οννώφριοςἀρακ[ ] | κτλ. P. Petr. III Seite XIX.
72
Zu datieren: 233-232 v.Chr., R.S. Bagnall, Anc.Soc. 3 (1972), S. 114.
Zu datieren unter Philopator, T. C. Skeat, J.E.A. 45 (1959), S. 78.
7
Lies ∟ ιδ statt ∟ ι̣ε̣, T. C. Skeat, J.E.A. 45 (1959), S. 77.
Neudr. Wilcken, Chrestom. 222.
Imouthes, Sohn des Theogenes: zur Datierung unter Philopator (gegen B.L. 6, S. 115), vgl. T.C. Skeat, Anc.Soc. 10 (1979), S. 159-165.
1
In B.L. 8, S. 280 soll ,,Sohn des Theogenes" gestrichen werden.
Neudr. Wilcken, Chrestom. 242.
11
Χαι.[… → Χαιύ[ρει, W. Clarysse, Chr.d’Ég. 48 (1973), S. 325, Anm. 5.
(d)
Die Urkunde ist auf die Jahre 223-218 v.Chr. zu datieren, F. Uebel, Die Kleruchen S. 241, Anm. 2.
73
Vgl. H. Müller, ΜΙΣΘΩΣΙΣ S. 11-12.
1
Φιλοκύδης `Ἀμφιπολίτης των[ ´ Κερτ̣.μ̣ου (viell. Κερτ̣.μωι oder Κο̣ρ̣ρ̣ά̣γ̣ωι, B.L. 6, S. 116) Εὐμή̣[λωι → Φιλοκύδης `'Αμφιπολίτης . . .´ Κερτί̣μαι Εὐμή-[λου χαίρειν (am Original), W. Clarysse bei O. Mas­son, Onomastica Graeca Selecta (1990), S. 266 und Anm. 59.
1
Statt Κερτ̣ . μ̣ου l. viell. Κερτ̣ . μ̣ωι oder Κο̣ρρ̣ά̣γ̣ωι, F. Uebel, Die Kleruchen S. 63, Anm. 7.
13
| αὐτὸς [ ἐὰν] | δὲ μὴ β[ε]βαιώσω ἀπ[οτίνειν δρα]|χμὰς φ. P. Petr. III Seite XX. G.-H., Hib. I 90, 19 Anm.
75
Nd.: H. Cuvigny, L’arpentage par espèces S. 30.
τ[ο]π[ο]γ[ραμματεῖς] (B.L. 1, S. 384) → τ[ο]πάρ-[χαι], H. Cuvigny, L’arpentage par espèces S. 30.
καθότι ἐπέδωκαν οί τ[ο]π[ο]γ[ραμματεῖς ] | ἐν τῶι ᾽Αρσινοίτηι | κτλ. G.-H., Hib. I 90, 19 Anm.
6
Die Lesung τ[ο]π[ο]γ[ραμματεῖς] (B.L. 1, S. 384) wird zugestimmt (am Original), W. Clarysse, Archeologia e papiri S. 76.
77
Der Text stammt aus Berenikis Thesmophoru und ist zu datieren: um 223-218 v.Chr., F. Uebel, Die Kleruchen S. 164, Anm. 3 u. 5.
78
Zu datieren: 247-231 v.Chr., W. Clarysse, E. Battaglia, Aeg. 62 (1982), S. 126.Duplikat: P. Petr. 3. 79 (a), W. Clarysse, E. Battaglia, Aeg. 62 (1982), S. 126.
Die Abrechnungen könnten aus einem ἐργαστήριον (siehe auch die Allgemeine Ber. dazu) in Apias stam-men, P. Heid. 6, S. 62, Anm. 6.
79
Zu datieren: 247-231 v.Chr., W. Clarysse, E. Battaglia, Aeg. 62 (1982), S. 126.
(a)
Duplikat: P. Petr. 3. 78 W. Clarysse, E. Battaglia, Aeg. 62 (1982), S. 126.
I 7
ἐν γ̄κω (= Τρικωμίαι) ὑπὲρ Λυσιμαχίδος | κτλ. P. Petr. III Seite XI.
II 16
Auf Grund des Weizenpreises zu datieren vor 222 v.Chr., H. Cadell, G. Le Rider, Prix du blé S. 51.
1
| [ ]ατείας(?) προσεδέξατο | κτλ.
81
16
Σεθρεμπάι oder Σενθυπάι statt σε . ε . μαι, P. Tebt. 3 1. 701, 120.
17
Πόαμ = Πόαν, P. Tebt. 3 1. 701, 120.
82
Wohl zu datieren: 243/242 v.Chr., Pros.Ptol. 9, S. 196, Nr. 6909 und S. 215, Nr. 7077.
8-10
Zu lesen: κ̄ε̄. ᾽Ε[ν] Ε̣ὐ̣[η]μ̣ερίαι Κεφάλων ᾽Αδαίου | Μ[ακεδ]ὼ̣ν τῶν ᾽Ετεωνέως | […..]….. ε (ἔτους) κ.τ.λ.; Kephalon ist wohl identisch mit dem in P. Petrie2 1. 16, siehe die Anm. zu Z. 85-86.
87
Wohl zu datieren auf 232-231 v.Chr., W. Clarysse in P. Horak, S. 280.
R
σ̣π̣α̣[ → ϛ̄μ̄η̄ (= ἑξαμήνου) [, W. Clarysse, Anc.Soc. 21 (1990), S. 35.
R° 16
ζ̣[υτουργίωι → ζ̣[υτοπωλίωι, F. Heichelheim in Pauly-Wissowa’s Real-Encyclopädie 16 (1933), Kol. 170; ζυτουργεῖον kommt in den Papyri nicht vor (Hinweis P. van Minnen, briefl.).
V° II 6
Κελ ̣ ̣ [ : identisch mit Keltous aus Philagris in P. Lille dem. 2 (siehe S. 250-251), vgl. W. Clarysse in P. Horak, S. 281.
V° II 19
Σε[ : wohl Σεθρεμπάιτος, vgl. W. Clarysse in P. Horak, S. 281.
V° II 22
̣ ̣]μ̣εσθωτι Αθη[ → [Ἀ]μ̣εσθῶτι Ἀθη̣[νᾶς κώμης]; identisch mit Ἀμόσθως Πετήσιος ζυ(τοποιòς) Ἀθηνᾶς κώ(μης) in P. Lille dem. 2. 42+79, W. Clarysse in P. Horak, S. 281 und Anm. 13.
88
Vgl. J. Bingen, Chr. d’Ég. 39 (1964), S. 171-173.
πρε[σβυτέρους], A. Tomsin, Étude sur les πρεσβύτεροι S. 106-7.
16
[τῆς ᾽Αριστάρ]χου νομαρχίας, W. Peremans, E. van ’t Dack, St. Hell. 9 (1953), S. 80.
21
Die Lesung πρε[σβυτέρους (vgl. B.L. III, S. 147) ist nicht möglich, J. Bingen, Chr. d’Ég. 39 (1964), S. 173, A. 1.
89
1
χαίρειν. [Σύν]τ[α]ξον | μετρῆσαι τοῖς κτλ. P. Petr. III Seite XIX.
10
Φρ.εσθεοῦτος καὶ τῶν ἄλλων κρότωνος [ ] | ἐφ[ ] Καρπωνθίου κρότωνος [ ]Grenfell, P. Rev. S. 188.
15
᾽Α[βγ]αῖος ᾽Αβγαίου → ᾽Α[ργ]αῖος ᾽Αρ̣γαίου (am Original), W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 55.
III 8
᾽Ιωσκ[ → ᾽Ιωσῆ[πος], W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 55, Anm. 14.
III 33
Σ̣ . το[. .]υ: viell. Σατόκου, P. Heid. 8, S. 301, Anm. 63.
91
1
.....η̣νος → wohl [παρὰ N.N. τοῦ παρὰ Πύθ]ω̣νος (am Original), W. Clarysse, R. Bogaert, Z.P.E. 68 (1987), S. 52-53.
93
Zu datieren nach 238-237 v.Chr., F. Uebel, Atti dell’ XI Congr.Pap. S. 364, Anm. 4.
V
κα̣ὶ̣ τ̣ὸ̣ ἐ̣ν τ̣ῶ̣ι̣ τετελ̣ε̣υ̣τ̣η̣κ̣ό̣τ̣ι̣, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 54 (1952), S. 412.
VII 6
φυ( ) ιδ (δρ.) θ = deutet wohl nicht auf die Steuerfreiheit (der ἁλική) für 14 φυ(λακῖται) (so P. Gurob, S. 47), sondern auf die Zahlung des φυ(λακιτικόν) von 14 Personen ὰ 4 Obolen, also 9 Dr., 2 Ob., vgl. C.P.R. 13, S. 40.
→ Nd. zusammen mit P. Petr. 3. 67 b R°: P. Count 1. 12.
→ Nd. zusammen mit P. Petr. 3. 67 b, V°: P. Count 1. 13.
3
κε (ἔτους): 223/222 v.Chr., W. Clarysse, E. Battaglia, Aeg. 62 (1982), S. 127.
4
Θαμι̣οῦτος → Θαμώυτος, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 54.
5-6
κωμ[άρ]|χοι Ελ.[ → κωμ[άρχου] | Χαιεάπ̣[ιος, W. Clarysse, Chr.d’Ég. 48 (1973), S. 325.
97
Zu datieren: 214-205 v.Chr. (?), C.H. Roberts, Greek Literary Hands S. 5; vgl. P.M. Fraser, Opuscula Atheniensia 3 (1960), S. 8, Anm. 5.
5
῎Ωκκης → Μίκκης, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 56 und Anm. 18.
98
10
Φαμ̣ε̣ί̣θου → Φαν̣ε̣ί̣θου, J. Quaegebeur, W. Clarysse, B. Van Maele, Z.P.E. 60 (1985), S. 223, Anm. 40.
99
Καλασίρει: kein Personenname, sondern ,,Kalasirier" (Militär) und ῾Ηρακλε̣ω̣τ[ → ῾Ηρακλεοπ[ολίτου (am Original geprüft von W. Clarysse), J.K. Winnicky, Orientalia Lovaniensia Periodica 17 (1986), S. 19 und Anm. 10.
1
᾽Οτμήνει → [Θ]οτμήνει, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 56 und Anm. 19.
12
Zur Funktion der Kalasirier (vgl. B.L. 8, S. 280) vgl. J.K. Winnicki, J.Jur.P. 22 (1992), S. 63-65.
Der Text stammt aus dem Themistosbezirk des Arsinoites, F. Uebel, Die Kleruchen S. 140, Anm. 5.
I 7
Φιλήνιος → Φιμήνιος, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 57.
I 7
Σεσο.[..]τος → Σεσογγ[ώ]σιος, W. Clarysse, Anc.Soc. 4 (1973), S. 140.
27
σπέρμα α ∟ ´ι´β, F. Uebel, Die Kleruchen S. 214, Anm. 4.
29
Statt αϛ l. α´ ϛ, F. Uebel, Die Kleruchen S. 214, Anm. 4.
II 14
ἰδίο[υ α], F. Uebel, Die Kleruchen S. 214, Anm. 4.
II 24
σπέρμα [α] ´γ, F. Uebel, Die Kleruchen S. 214, Anm. 4.
II 30
Vl. δωρεᾶ̣[ς, T. Reekmans, E. van ’t Dack, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 172 A. 2.
II 31
Φανήσιος → Φανήιος, Pros.Ptol. 9, S. 196, Nr. 6907.
II 33
Περήπιος → Περπήιος, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 54.
101
II 12
Θαμοῆτος → Θαμώ̣υτος, W. Clarysse, Miscellanea J. Vergote S. 54.
102
II 1
περὶ τοὺς ᾽Ανδριάντας (Ortsname) | κτλ. Pr.
II 14
| Π̣ε̣χ̣ύ̣σ̣ιος Ψενεμμοῦτος κτλ. P. Petr. III Seite XI.
104
Neudr. Wilcken, Chrestom. 334; = Select Papyri 2, Nr. 392; = Hengstl, Griechische Papyri, Nr. 125.
107
Zur chronologischen Abfolge der Fragmente vgl. F. Uebel, Archiv 27 (1980), S. 63-65.
Zu datieren: 226/225 v.Chr., W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 85.
Vgl. H. Hauben, Anc.Soc. 2 (1972), S. 21-32.
1
| [῎Ε]τ[ο]υς κβ. Παρὰ Θεοδότου. | Λόγος κτλ. P. Petr. III Seite XIX.
15, 25
Zu Σολόις vgl. H. Hauben, Actes XVe Congr. 4 S. 75, Anm. 2, Nr. 2.
4
Φανῆτις → Φανήυις, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-89.
9
Φανή[τιος] → Φανή[υιος], W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-89.
15
Φανήτιος → Φανήυιος, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-89.
19
Καλατύτιος → Κολατύτιος, W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 87.
28
Πετειμούθεως → Πετειμούθης, W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 89, Anm. 21.
38
᾽Αβυ(δηνόν), T. Reekmans, E. van ’t Dack, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 186 A. 2.
I 1
Erg. am Anfang wohl: [(῎Ετους) κβ ἀνήλω]μα, F. Uebel, Archiv 27 (1980), S. 63, Anm. 2.
I 6
Παλήτιος → Παλήυιος, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88.
I 13
Παλήτιος → Παλήυιος, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88.
I 27
Φανήτιος → Φαλήυιος, W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88.
I 30
...[..]... → Π̣ετ[οσί]ρ̣ι̣[ος], W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 90.
II 21
Παλήτιος → Παλήυιος, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88.
II 30, 35, 37
Φανήτιος → Φαλήυιος, W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-90.
2
᾽Αβυ(δηνόν), T. Reekmans, E. van ’t Dack, Chr. d’Ég. 53 (1952), S. 186 A. 2.
7
Φαλήτιος → Φαλήυιος, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-89.
12
Vl. καλα̣ΐ̣ν̣ω̣[ν, J. Kalleris, Αἱ πρῶται ὗλαι τῆς ὑφαντουργίας S. 143 A. 6.
13
Φαλήτιος → Φαλήυιος, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-89.
16
Φανῆτι[ς → Φανήυι[ς, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-89.
21
Παλήτιος → Παλήυιος, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88.
24, 37
Καλατύτιος → Κολατύτιος, W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 87.
30
Φανῆτις → Φανήυις, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-89.
33
Φανῆτις → Φανήυις, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-89.
34
Φαλήτιος → Φαλήυιος, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88.
40
Φανῆτις → Φανήυις, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88-89.
41
Φαλήτιος → Φαλήυιος, W. Clarysse - H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 88.
III 8
Σεύθωι → Σεύθηι, W. Clarysse, H. Hauben, Archiv 24-25 (1976), S. 90.
I
Die Urkunde stammt aus der Zeit Euergetes I, F. Uebel, Die Kleruchen S. 207, Anm. 9.
II 5
Die Sigle bedeutet nicht ,,γίνεται" (B.L. 1, S. 373), sondern λοιπόν, F. Uebel, Die Kleruchen S. 207, Anm. 10.
111
7
ἁλικ(ῆς) ἀρ(σενικῶν) γ, θη(λυκοῦ) (sc. σώματος) α statt αλικ. γη/θλ, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 54 (1952), S. 411.
4
| ζ̄ Δ̣ιζάστης Θρᾶ[ιξ κτλ. W., A VI 385.
7, 9
Polydeukes ist viell. identisch mit dem in P. Petr. 3. 21 Pros.Ptol. 9, S. 282, Nr. 7942.
26
Wohl αλικ statt αλικ ʃ, F. Uebel, Atti dell’ XI Congr. Pap. S. 333, Anm. 1.
28
Die Erg. ᾽Ασκλ[ηπιοῦ wird abgelehnt, F. Uebel, Die Kleruchen S. 124, Anm. 1.
117
Die Erg. ᾽Απόλ]λωνος wird abgelehnt, F. Uebel, Die Kleruchen S. 243, Anm. 2.
Viell. [Θραικῶ]ν oder [Περσῶ]ν ἱππαρχίας, F. Uebel, Die Kleruchen S. 120, Anm. 2.
Δενδούζελμις, J.G. Smyly (am Original), mitgeteilt von E. Van ’t Dack, Bibl.Orient. 27 (1970), S. 357.
4
Die Lesung Δ̣ιζάπης ist richtig, (gegen B.L. 1), W. Clarysse, Pros.Ptol. 8, S. 169, Nr. 2772.
17
π̄ν̄ κλ( ) steht für (ὀγδοηκοντάρουρος) κλ(ηροῦχος), F. Uebel, Die Kleruchen S. 248, Anm. 2 (gegen B.L. 1).
(g) 23
Vl. Κε]ντουγέλιος, M. Launey, Recherches sur les armées hellénistiques S. 376 A. 2.
I 3
Wohl α oder δ statt α ʃ, F. Uebel, Atti dell’ XI Congr. Pap. S. 333, Anm. 1.
II 8-9
Μακεδ[ὼν τῆς τῶν δείνων] | ἱππαρχίας, F. Uebel, Die Kleruchen S. 247, Anm. 2.
Recto I 3
Μυ|[σῶν ἱπ(παρχίας) (ἑβδομηκοντάρουρος) διὰ λο(γευτοῦ) κτλ. Ebenso Z. 14. Lesquier, Instit. milit. 296.
II 3-5
Protarchos ist wohl identisch mit dem in S.B. 22. 15213, Z. 2-3, Ch. Armoni, Z.P.E. 137 (2001), S. 238.
8
Vgl. zur Θεσσαλῶν ἱππαρχία, Wilcken, P. Freib. 3 S. 97.
13
Περγα[μηνός: auch möglich ist Περγα[ῖος, Pros.Ptol. 10, S. 227-228, E1953.
20
Τεισαμενοῦ πεν(τηκόνταρχος) (oder πεντακοσίαρχος) τοῦ β∟ | κτλ. Lesquier, Instit. milit. 300 Anm. 3.
7-10
Ergänze z.B. ῆ Πολυδεύκης Τα̣[-- (Patronymikon bzw. Ethnikon) τὸ παρὰ] (oder: ῆ Πολυδεύκης τὸ̣ [παρὰ τοῦ δεῖνος τοῦ]) | Φανίου χω(ματικὸν) ἀμ(πελῶνος) γῆς ἧ̣[ς ἔχει ἐν τῶι] | Πολυδεύκους (ἑκατονταρούρου) [κλ(ήρωι) διὰ λο(γευτοῦ)] | ᾽Α̣μ̣ύ̣ντου τοῦ β (ἔτους), F. Uebel, Die Kleruchen S. 245, Anm. 3.
18
| ᾽Ετεωνέως ἐπ(ιλάρχης) τοῦ β∟κτλ. Lesquier, Instit. milit. 300 Anm. 3.
20
Νικίου π(εντηκόνταρχος) (oder πεντακοσίαρχος) κλ( ) κτλ. Lesquier, Instit. milit. 300 Anm. 3.
2
Die Auflösung von α/ ist Μα(κεδών), F. Uebel, Die Kleruchen S. 249, Anm. 2.
Nd. B. Hemmerdinger, Archiv 20 (1970), S. 25-27.
Στρατονίκου δε(κανικὸς) τῶν ᾽Εγ̣[ ] | κτλ. G.-H., Hib. I 30, 13 Anm. Pr.
1
Statt εγ[ l. ᾽Ετ̣[εωνέως (Name eines eponymen Offiziers im Genetiv), F. Uebel, Die Kleruchen S. 240, Anm. 3.
2
Unter ,,ἀνάσταμα" ist der Stosszahn (eines Elephanten) zu verstehen, B. Hemmerdinger, Archiv 20 (1970), S. 26.
10
το̣ῦ → τά, W. Clarysse, Pros.Ptol. 8, S. 198, Nr. 3992.
14
Statt ετεων εως l. ᾽Ετεωνέως (Name eines eponymen Offiziers im Genetiv, F. Uebel, Die Kleruchen S. 240, Anm. 3; vgl. aber zu der Lesung von Z. 1 und 14 B. Hemmerdinger, Archiv 20 (1970), S. 28 und F. Uebel, Die Kleruchen S. 27 f.
19
..ρ̣μης → ἑ]ρμῆς (,,aubaine"), B. Hemmerdinger, Archiv 20 (1970), S. 26-27.
5
[..]δ̣ιεμπ.ιτος → [Σε]θρεμπάιτος, P. Tebt. 2, S. 401.
11
Βουκόλων liegt im Themistesbezirk, L.C. Youtie, B.A.S.P. 19 (1982), S. 91-92.
5
Δυσιμαχίδος· Τεενεφθῖμις | ῞Ωρου | κτλ. Spiegelberg, mündl.
119
V
Vl. aus späterer Zeit als P. Petr. 2, 2 (1), A. E. Samuel, Chr. d’Ég. 40 (1965), S. 386.
120
→ (mit neuem Fr.) P. L.Bat. 30. 1.
Zu datieren: etwa 258/257 v.Chr., Pros.Ptol. 8, S. 72, Nr. 832.
Viell. zu datieren nach 238-237 v.Chr., F. Uebel, Atti dell’ XI Congr.Pap. S. 364, Anm. 4.
3
[Καὶ ὧν δε]κάτη [σο]β ∟ κζ δ´, vgl. die folgende Zeile, T. Reekmans, Chr. d’ Ég. 60 (1955), S. 373.
5
ζυ(τουργίου) → ζυ(τοπωλίου), vgl. die Berichtigung zu P. Petr. 3. 87 a, R° Z. 16; ζυτουργεῖον kommt in den Papyri nicht vor, P. van Minnen, briefl.
II 1, III 2
ζυ(τουργίου) → ζυ(τοπωλίου), vgl. die Berichtigung zu P. Petr. 3. 87 a, R° Z. 16; ζυτουργεῖον kommt in den Papyri nicht vor, P. van Minnen, briefl.
III 9
| Θαβ[ῆ]ς . . [. . .] . . [. .] . . κ . Σφὲμ κτλ. Pr.
III 26
B. Olsson, Aegyptus 6 S. 290 deutet αλετ als ἄλετ(ρον) = ἄλεοτρον ,,Mahl-, Backkosten".
128
9
Vl. [᾽Αγήνορ]ι, P. Kool, De phylakieten in Grieks-Romeins Egypte S. 17.
13
καὶ statt η, P. Kool, De phylakieten in Grieks-Romeins Egypte S. 110 A. 8.
2
Besprochen von T. Kalén, Berliner Leihgabe griech. Papyri 1 S. 283f.
6f.
ἐπ(ίμετρον), T. Reekmans, Chr. d’Ég. 54 (1952), S. 410 A. 2.
Besprochen von demselben ( T. Kalén, Berliner Leihgabe griech. Papyri 1 S. 283f), der κάθαρσις hier und in den sonst einschlägigen Texten nicht als ,,Gebühr für Reinigen des Getreides von groben Fremdkörpern", sondern als ,,die durch das Ausscheiden der Fremdkörper verursachte Quantitätsminderung" deuten will.
11
ἀγ(ωγῆς), P. Tebt. 3 1. 824, 3.
I 7
ἐπ(ίμετρον), T. Reekmans, Chr. d’Ég. 54 (1952), S. 410 A. 2.
130
6
Κάν̣ω̣π̣ον: kein Toponym, sondern Personenname: οἱ περὶ Κάνωπον, ,,Kanopos mit seinen Leuten", W. Clarysse, Anc.Soc. 22 (1991), S. 241, Anm. 26.
12
φυλακιτῶν καὶ ἀρχι[φυλακίτης ] | κτλ. G.-H., Hib. I 34, 1 Anm.
132
2
Ἀρέστον: der Nominativ ist Ἄρεστος, nicht Ἀρέστης, G. Nachtergael, Chr.d’Ég. 74 (1999), S. 348, Anm. zu Z. 9.
2
Κυρηναίου [ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣] : viell. Κυρηναίου [τῆς ἐπιγονῆς], Pros.Ptol. 10, S. 152, E1264.
5
ἠγορακέναι κα[τὰ Αἰγυπτίας(?)] συγγραφὰς παρὰ κτλ. P. Petr. III Seite XX.
13-14
[ ̣ ̣ ̣] | τοῦ προσγενομέ̣ν̣ο̣υ̣ → [καὶ τόκου] | τοῦ προσγενομέ̣ν̣ο̣υ̣, Ch. Armoni, Archiv 51 (2005), S. 215-216, Anm. 28.
16-17
̣[ ̣ ̣] ̣ ̣ ̣ ̣[ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣ ̣] | μενου → κ̣[αὶ] τόκο[υ τοῦ προσγενο]|μένου, Ch. Armoni, Archiv 51 (2005), S. 215-216, Anm. 28.
21
τόπου περιτετε [ιχισμένου] | τοῦ ὄντος κτλ. Pr.
136
vgl. UPZ 1 S. 439, 1.
8
κρεῶν μν(ῶν) γ (τετρώβ.), T. Reekmans, Chr.d’Ég. 43 (1968), S. 170.
141
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 197.
Zur Datierung s. E. Meyer, Untersuchungen zur Chronologie der ersten Ptolemäer (Archiv, 2. Beiheft) 28; dagegen J. Beloch, Archiv 8 2.
4-6
Zur Interpretation vgl. C.Ptol.Sklav., Nr. 197, S. 785.
142
Vgl. G. Glotz, Les fêtes d’Adonis sous Ptolémée II. Un papyrus méconnu, Revue des études grecques 33 (1920), S. 169f.; UPZ 1 S. 400.
12
Statt βαλιδικῶν (nämlich κάρυα Zeile 10) l. βασιλικῶν, H. Eideneier, Z.P.E. 7 (1971), S. 55. (W.B. I, Spalte 254 ist entsprechend zu ändern).
27
δεικτήριον: ,,display (of the body of the god)", M. Stol, in: Funerary Symbols and Religion, ed. J.H. Kamstra, K. Wagtendonk, Kampen 1988 S. 127-128.
144
Englische Übersetzung: R.S. Bagnall - P. Derow, The Hellenistic Period, S. 53-55.
Siehe die Ber. zu P. Petr. 2. 45.
IV
Neudr. Wilcken, Chrestom. 1.
6 a
Zwischen Zeile 6 u. 7 ist Zeile 6a einzufügen: [ ].ες̣ τῆς διώρυγος καὶ γε[. . .]. εν . . [ ] | κτλ. P. Petr. III Seite X.
8
| [ τὴ]ν συντέλειαν τῶν ἔργων [ ] | κτλ. P. Petr. III Seite X.
Nd. S. Witkowski, Epistulae Privatae Graecae Nr. 10.
IV
= Wilcken, Chrest. 387; = Select Papyri 2, Nr. 348
Nd. S. Witkowski, Epistulae Privatae Graecae Nr. 5.
(a-f)
Nd. S. Witkowski, Epistulae Privatae Graecae Nr. 6 und 7.
2
Statt Αβατ[ l. viell. ῎Αβαν̣[τος], F. Uebel, Die Kleruchen S. 233, Anm. 3.
2-3
Statt ᾽Ανδρο] |μάχειον l. viell. Λυσι] |μάχειον, F. Uebel, Die Kleruchen S. 230, Anm. 3.
17
Die Ergänzung συνταγμα(τάρχης) von J. Lesquier, Inst. mil. S. 366, ist sehr zweifelhaft, P. Tebt. 3 1. 815 Fr. 10, I, 6-7.
19
Εἴη μέν μοι ὑγιαίνοντα αὐ[τὸ]ν [τἀμ]αυτοῦ | διοικεῖν κτλ. P. Petr. III Seite XII. Pr.
21
ἐν ᾽Αλαβανθίδ[ι τῆς ῾Ηρακλείδου] | μερίδος κτλ. Pr.
1-19
Siehe unter UPZ 1. 110.
7
Unterhalb des Wortes ᾽Αττίου, zwischen Zeile 7 und 8, ein Strich (Paragraph).P. Petr. III Seite XII.
13
Φίλωνος Σολ̣ [εὺς(?) ] | κτλ. P. Petr. III Seite XII.
20
| προγεγ[ραμμ]ένοις τ̣α[……… ἱμα]τισμὸν κα[ὶ] καθήκον|τα πάντα κατὰ] | δύνα[μι]ν ύπ[α]ρχόντων κτλ. P. Petr. III Seite XX.
25
| [............] τοῦ κοινοῦ(?) τῶν βασιλικῶν κ.τω …..[…]των, ἐγδόσθω δ̣[ὲ ἡ ᾽Αρτε ]|μιδώ|ρα τὰς θυ]γατέρας Τε.[….]… καὶ Νικοῦν διδοῦσα φερνὴν ἑκάστηι, ἣν ἐ[ὰν αὐτῆι] | φαίν[ηται ἀπὸ τῶ]ν ὑπαρχόν[των μοῦ]. ᾽Εὰν δέ [τ]ι πάθηι [ἡ ᾽Λρ|τεμιδώρα πρὸ τοῦ ἐ̣[γδόσθαι] | τὰς θ[υγατέρας, ἔσ]τω τὸ ἥμ̣[ισυ τοῦ] π̣ρ̣ο̣[γε]γραμμένου μου ἀμπελῶνος [καὶ τῶν] | συγκ[υρόντων αὐ]τῶι πάντων ᾽Αριστοκράτους τοῦ πρεσβυτέρου μ[ου| υἱο[ῦ, τὰ δὲ] | λοιπὰ [ π]άντα τ[ῶ]ν τέκνων κτλ. P. Petr. III Seite XII. Pr. P. Petr. III Seite XIX. P. Petr. III Seite XX.
34
| [………… ἀπε]νέγκασθα[ί τι τῶν ὑπαρχόν]των μου μηδ᾽ ἐξαλλο̣[τριῶσαι(?)…..] | κτλ. P. Petr. III Seite XII.
36
χαλκοῦ νο[μίσματος] | κτλ. P. Petr. III Seite XII.
38
| [καταλείπω, ἐπιτρόπ]ους δὲ αἱροῦμ[αι κτλ. P. Petr. III Seite IX.
I 1-19
Übersetzung bei Schubart, Ein Jahrtausend am Nil2 Nr. 9, der Z. 1 [Θέω]ν[ι] ergänzt.
4/5
L. [τὰ ὀνόματα ἐ]νγεγραμ |5 [μένα, καθ]ώσπερ σὺ, W. Crönert, Raccolta Lumbroso S. 533.
8
L. ἀξιώσα]ς ἡμᾶς, W. Crönert, Raccolta Lumbroso S. 533.
2f.
ἤ]ν̣εγκα προς τὸ ᾽Αφροδίσιον - - ἐν τοῖς̣ [πρώτοις κυλικεῖον διάχρυσον, οὗ τὴν γάστραν | 3 ἤθελον] ὑ̣αλίνην - - τρίτ[ωνος ἔχον προτομήν, καὶ ναΐσκος Διονύσου περιηργυρωμένος μετὰ ἐπι |4 χρύσου κ]αὶ, W. Crönert, Raccolta Lumbroso S. 534.
1
καὶ τὰ λοιπ[ά σοι κατὰ γνώμην ἐστίν, καλῶς ἂν ἔχοι(o. ä.), ὑγιαίνω δὲ] | [καὶ αὐτός. ῎Η]ν̣εγκα κτλ. Witkowski, Epist. priv.2 5.
c 1
L. Σωτ]αίρωι, W. Crönert, Raccolta Lumbroso S. 534.
26f.
δέ σοι π[ρὸς πόνον - - - δι᾽ ᾽Α]ριοτοτέλους |87 ἀφέστα[λκα καὶ, W. Crönert, Raccolta Lumbroso S. 533.
6
πῶ[ς] τε σοὶ ἀποβήσε|[ται καὶ ήμῖν, οί γ] ὰρ κυνηγοὶ κτλ. Witkowski, Epist. priv.2 6.
I 2
| [Σωτῆρος, ἔτους ὀγδόου ] καὶ τριακοστοῦ, ἐφ᾽ ἱερέως | [᾽Αντιόχου τοῦ Κρατίδα ᾽Αλεξ]άνδρου καὶ θεῶν | [᾽Αδελφῶν, κανηφόρου ᾽Αρσι]νόης Φιλαδέλφου Μεγίστης | [τῆς Φίλωνος, μηνὸς κτλ. PSJ V 521, 3 Anm. (wahrscheinlicher Vorschlag).
II 5
| καὶ τὸν ἀτακτο[ῦντα ] | κτλ. P. Petr. III Seite XI.
II 7
συγγραφὴ [κυρία ἔστω, ὅπου ἂν] | ἐπιφέρητ [αι] | κτλ. P. Petr. III Seite XI.
6
| [ ] τελευτήση̣ι̣ ἢ ἀπόληται κτλ. P. Petr. III Seite XI.
Recto II 10
Τ̣ β ε λ λ ῆ ς γυ(νή) | κτλ. P. Petr. III Seite XI.
R III 18
Θεαγ̣[ → θεαγ[ός, W. Clarysse, P. Dils, B.I.F.A.O. 95 (1995), S. 155, Anm. 15.
31
ἐκφόρων (Segeltaue) διὰ Τελεύτου | καὶ ῞Ωρου κτλ. Pr. Pr. (vgl. Sammelbuch 4989).
Zur Interpretation vgl. P. Heid. 8, S. 64-65, zu j und k.
1
L. ∟λ]ς statt ∟λ]γ̣̄, C. C. Edgar, Aegyptus 6 S. 339.
3
Der οἰκονὁμος war nicht Unterbeamter (so M. Rostovtzeff, A Large Estate 150); Edgar, Aegyptus 6 339, liest statt ᾽Αρι̣σ[το]φ̣[άν]ους ᾽Αρι̣σ[τά]ν̣δ̣ρ̣ο̣υ̣ (vgl. Annales du Service 24 S. 48).
Verso 3
| στεφαν(ικοῦ) π(υροῦ) ια γ′, φυλακι(τικοῦ) π(υροῦ) α β′ | κτλ. P. Petr. III Seite XI.
Neudr. Wilcken, Chrestom. 385.
→ Archiv 2, S. 515-516
→ Wilcken, Chrest. 10
→ P. Petr. 1 16 (2)
3
᾽Αντι…ου → ᾽Αντιό̣χ̣ου, W. Clarysse (nach dem Photo, P. Petrie 1. 28, 2), vgl. J. IJsewijn, De Sacerdotibus S. 29 und Anm. 1.
8
ἐ̣γγυῶντος̣ → ἔγγυος̣ εἰς, P. Petrie 3. 58 c.
Nd.: UPZ 2. 157.
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