P. Mich.Zen.
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1
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2.14 |
ι → γ, A. Verhoogt (from original) |
BOEP 2.1 99
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2
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r.2 |
ἔχει → ἔχηι, A. Verhoogt (from original) |
BOEP 2.1 100
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r.3 |
αὐτῶ → αὐτῶι, A. Verhoogt (from original) |
BOEP 2.1 101
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2-4
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Nd.: X. Durand, Des Grecs en Palestine S. 43-45, S. 213-214 und S. 267. |
BL XI
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3
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2 |
ἄρχοντος: ziviler Beamte, R.S. Bagnall, The Administration S. 23. |
BL VII
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6, 10
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Nd.: J.L. White, Light from Ancient Letters Nr. 11 und 12. |
BL VIII
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9
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τοῦ Μενελά[ου, A. H. M. Jones, The Cities of the eastern roman provinces S. 472 A. 11. |
BL III
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V |
Vgl. Wilcken, Archiv 10 73 über den Begriff διαγραφή. |
BL II 2
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V |
Ε…ιος → Εὔ̣[φρ]ιος, P. Petrie2 1, S. 108, Anm. 78 (am Original geprüft von H.C. Youtie). |
BL IX
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V |
Ζεφύριος ist ein Demotikon, P.M. Fraser, Ptol. Alex. II S. 127, Anm. 82. |
BL VI
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V |
Viell. ἐμ Μενελάω̣ι̣, J.D. Thomas, Aeg. 47 (1967), S. 220, Anm. 5. |
BL VI
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|
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V |
Die Erg. Μενελά[ου] (vgl. B.L. 3, S. 116) wird abgelehnt, J.D. Thomas, Aeg. 47 (1967), S. 220, Anm. 5. |
BL VI
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R° |
Zu datieren zwischen September 258 und April/Mai 256 v.Chr. (vgl. ed.pr.), H. Hauben, Anc.Soc. 36 (2006), S. 198. |
BL XIII
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10
|
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Vgl. M. Zimmermann, Z.P.E. 92 (1992), S. 201-217. |
BL X
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12
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1-9 |
Äußere Beschreibung und Photo: G. Messeri Savorelli, R. Pintaudi, Mostra Zenon S. 31 und Tav. 19. |
BL X
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3 |
ἐπιστολήν: επεστολεν Pap., W. Clarysse, Chr.d’Ég. 68 (1993), S. 197, Anm. 16 (am Original). |
BL X
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9-15 |
Die Erg. werden bestätigt anhand eines zugehörigen Fragmentes; ἐνδημεῖν (Z. 12): ενδεμιν Pap., W. Clarysse, Chr.d’Ég. 68 (1993), S. 197, Anm. 16 (am Original). |
BL X
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13
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Äußere Beschreibung und Photo des Florentiner Fr.: G. Messeri Savorelli, R. Pintaudi, Mostra Zenon S. 59 und Tav. 51. |
BL X
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15
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κά[ρυα – πε]ντακισχίλια, P. Cairo Zen. 5. 59821,. 9. |
BL III
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1 |
κά[ρυα - (P. L.Bat. 21 A, S. 135) → κά[ρυα χλωρά, T. Reekmans, La consommation S. 28. |
BL XI
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16
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Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 204. |
BL IX
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17
|
4 |
Zu Κασιωτικόν vgl. P. Chuvin, J. Yoyotte, Revue Archéologique 1986 S. 50-51 und Anm. 44. |
BL VIII
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22
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r.2 |
τόν corr. ex το⟦πα ̣⟧ν → τόν corr. ex το⟦πλο⟧ν, P. Heilporn (from original) |
BOEP 10 1320
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23
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Englische Übersetzung: R.S. Bagnall - P. Derow, The Hellenistic Period, S. 149-150. |
BL XIII
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6 |
Wilcken, Archiv 10 S. 74 über die σίτου ἐγδοχεία als λειτουργία. |
BL II 2
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29
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Von derselben Hand geschrieben wie der von W. Clarysse, Chr.d’Ég. 68 (1993), S. 196 edierte Text, vgl. S. 196. |
BL X
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Nd.: J.L. White, Light from Ancient Letters Nr. 20 mit Photo auf S. 1 (kopfstehend). |
BL VIII
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Englische Übersetzung: R.S. Bagnall - R. Cribiore, Women's Letters from Ancient Egypt, S. 103. |
BL XIII
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4 |
σύνταξαι Imp. medii, P. Viereck, Gnomon 9 (1933), S. 216. |
BL III
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30
|
|
Nd. C. P. J. 1. 8. |
BL IV
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30 (b)
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|
Nd. H. C. Youtie, C. P. J. 1. 8. |
BL IV
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32
|
5 |
σεσιταρχηκότες bezieht sich nicht auf eine Verpflegung der Soldaten mit Korn, sondern auf die Besoldung mit Geld, Wilcken, Archiv 10 S. 75. |
BL II 2
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37
|
|
Vgl. M. Nowicka, La maison privée S. 140 und Anm. 124. |
BL VI
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37-38
|
|
Vgl. G. Husson, OIKIA S. 302-306. |
BL VIII
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39
|
5 |
Auch διὰ [τὸ ἔγκλημα] oder διὰ [τὴν ἀντιγραφήν] ist möglich, E. Seidl, Ptol. Rechtsgesch. S. 90-91. |
BL V
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|
42
|
1, 11 |
Kriton ist identisch mit dem Stolarchen (vgl. schon ed.pr., Einl.), vgl. H. Hauben, Anc.Soc. 36 (2006), S. 217. |
BL XIII
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48
|
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Nd.: J.L. White, Light from Ancient Letters Nr. 25. |
BL VIII
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|
|
6 |
Die Doppeldatierung ist fehlerhaft, wohl infolge eines Schreibfehlers, E. Grzybek, Du calendrier macédonien au calendrier ptolémaïque S. 154-155. |
BL IX
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49
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|
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 124. |
BL IX
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54
|
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→ (+ P. Col.Zen. 2 115p und P. Soc. 6 555) SB 26 16635 |
BL Konk. II
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Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 249. |
BL IX
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R |
Äußere Beschreibung und Photo des Florentiner Fr.: G. Messeri Savorelli, R. Pintaudi, Mostra Zenon S. 59 und Tav. 51. |
BL X
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→ Nd. zusammen mit P. Col.Zen. 2. 115p und P. Soc. 6. 555: S.B. 26. 16635. |
BL XII
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6 |
Zur Datierung siehe die Ber. zu P. Cairo Zen. 2. 59142, 5. |
BL IX
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55
|
|
Nd. C. P. J. 1. 127a. |
BL IV
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12 |
ἠισθῆσθαί σε, E. Kiessling. |
BL III
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57
|
|
Vgl. H. J. Wolff, Das Justizwesen der Ptolemäer S. 20, A. 4. |
BL V
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|
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4 |
Für ἐν ἡμέραις πέντε, vgl. N. Lewis, B.A.S.P. 5 (1968), S. 30. |
BL VI
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58
|
|
Zu datieren: 18.9.247 v.Chr., P. Pruneti, Aeg. 57 (1977), S. 102 und Anm. 1. |
BL VII
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60
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Äußere Beschreibung des Florentiner Fr.: G. Messeri Savorelli, R. Pintaudi, Mostra Zenon S. 77-78. |
BL X
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8a |
σχολάζουσιν statt ἀ]σχολάζουσιν, C. C. Edgar, Aeg. 14 (1934), S. 119. |
BL III
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8f. |
'Das wird aber angebracht sein; denn jetzt kommt, da es alt ist, niemand' - sc. um es zu mieten - 'und wenn Du willst, wirst Du es' - sc. wenn es repariert ist - 'vermieten' P. Viereck, Gnomon 9 (1933), S. 216 f. |
BL III
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8 |
οἱ ναυπηγο[ὶ ἀ]σχολάζουσιν 'Die Schiffsbauer sind beschäftigt' P. Viereck, Gnomon 9 (1933), S. 216. |
BL III
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61
|
17-18 |
στόματος μετ̣[εξερά]σασιν; vgl. P. Soc. 4. 332, 9-10, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 60 (1955), S. 373. |
BL IV
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62
|
|
Der Anfang jeder Zeile hat 4 oder 5 Buchstaben mehr als der Herausgeber angibt, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 60 (1955), S. 365. |
BL IV
|
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|
6-7 |
Zwischen ἐν τῶι und ἐν τῆι muss ein Substantiv gestanden haben, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 60 (1955), S. 365. |
BL IV
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|
|
8 |
Vgl. T. Reekmans, Chr. d’Ég. 60 (1955), S. 365. |
BL IV
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|
|
12 |
Für λαμβά]ν̣ο̣ν̣τες ist wahrscheinlich wohl Raum, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 60 (1955), S. 365. |
BL IV
|
|
|
13 |
Vl. [καὶ ν εἰς ἐρ]γολαβικόν, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 60 (1955), S. 365 A. 3. |
BL IV
|
|
|
14-15 |
Man erwartet eher καὶ τον σί[δηρον χορηγ]ή̣σει, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 60 (1955), S. 365. |
BL IV
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|
|
16 |
[ἀρουρῶ]ν̣ statt [πυρῶ]ν̣, T. Reekmans, Chr. d’Ég. 60 (1955), S. 365 |
BL IV
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63
|
|
Zu datieren (nach dem Finanzjahr): 22.8.247 v.Chr., W. Huß, Z.P.E. 159 (2007), S. 280 mit Anm. 8. |
BL XIII
|
|
64
|
|
Zu datieren (nach dem Finanzjahr): ein Tag nach dem 20.8.247 v.Chr., W. Huß, Z.P.E. 159 (2007), S. 280. |
BL XIII
|
|
66
|
|
Vgl. A. E. Samuel, Ptolemaic Chronology S. 77 u. 81-82. |
BL V
|
|
68
|
2 |
[τὸ διάγραμμα], P. Col. Zen. 2. 83, 15. |
BL III
|
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70
|
|
Englische Übersetzung: R.S. Bagnall - P. Derow, The Hellenistic Period, S. 216-217. |
BL XIII
|
|
|
|
Vgl. H. Meyer-Laurin, Proceed.12th Congr. Pap. S. 309-313. |
BL VI
|
|
|
|
Nd. C. Ord. Ptol., Nr. 27.Vgl. H. J. Wolff, Das Justizwesen der Ptolemäer S. 11-12. |
BL V
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70, 84
|
|
Photo: N. Lewis, Greeks in Ptolemaic Egypt Pl. 3 (b) und 3 (a). |
BL VIII
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77
|
|
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 163. |
BL IX
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|
|
16 |
Von 2. H., Wilcken, Archiv 10 S. 76. |
BL II 2
|
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80
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1-2 |
παραγγ̣[ελίαν προσεκέκλητο ᾽Αντίπατρος ἀναγιγνώσκω]ν τ̣ὰ προτε[θέντα …] δίκας, E. Berneker, Ét. de Pap. 2 (1934), S. 69. |
BL IV
|
|
|
3 |
συνπα[ρόντος αὐτοῦ, ἐὰν ᾽Αντιπάτρου, E. Berneker, Ét. de Pap. 2 (1934), S. 69. |
BL IV
|
|
82
|
Einf. |
Nd. P. Cairo Zen. 4. 59590. |
BL VI
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|
84
|
10 |
τηρητήν: gehört nicht in „Trades and Occupations“ (gegen P. L.Bat. 21 B, S. 540), vgl. F. Papadopoulos, Archiv 46 (2000), S. 167. |
BL XII
|
|
|
17 |
προγεγραμμέ[νη] ist kein Mißverständnis für ὑπογεγραμμέ[νη], da wohl in dem verlorenen vorhergehenden Texte auf die Zeichnung hingewiesen war. Es wird vielmehr προγεγραμμέ[νη ἥδε] o. ä. zu ergänzen sein, Wilcken, Archiv 10 S. 76. |
BL II 2
|
|
85
|
5-6 |
γράφε δ᾽ ἐάν τινος χρείαν ἔχηι]ς τῶν παρ᾽ ἡμῖν, ὡς κτλ., S. Kapsomenos, E. E. Thess. 7 (1957), S. 365 A. 1. |
BL IV
|
|
|
5 |
γράφε δ᾽ ἐάν τινος χρείαν ἔχηι]ς̣ (B.L. 4, S. 55) → eher γράφε δὲ καὶ σύ, ἐάν τινος χρείαν ἔχηι]ς̣, R. Buzón, Die Briefe der Ptolemäerzeit (1984), S. 69. (zu Nr. 46); die Erg. ist aber zu lang. |
BL IX
|
|
86
|
|
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 232. |
BL IX
|
|
|
5-6 |
τῆς ἄρ|κου, ,,Bärin" viell. τῆς <σ>αρ|κοῦ, l. σαρκός, ,,Fleisch" [vgl. aber F. Preisigke, Wörterbuch 2 S. 451: ,,Fleisch (des menschlichen Körpers)"!], oder ein αρκιον (P. Lond. 7. 2144, Z. 7) entsprechendes Substantiv ἡ ἄρκος (unidentifiziertes landwirtschaftliches Produkt), C.Ptol.Sklav., S. 947. |
BL IX
|
|
87
|
|
Nd.: W. Clarysse, K. Vandorpe, Zénon S. 102-103. |
BL X
|
|
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|
Englische Übersetzung: R.S. Bagnall - P. Derow, The Hellenistic Period, S. 213-214. |
BL XIII
|
|
|
4 |
Σεναρύ: wohl identisch mit Σιναρύ, P. Pruneti, I centri abitati dell’Ossirinchite S. 178-179. |
BL VIII
|
|
88
|
|
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 250. |
BL IX
|
|
90
|
6 |
L. vielleicht [κἂ]ν̣ statt [κα]ὶ̣, Wilcken, Archiv 10 S. 76. |
BL II 2
|
|
93
|
|
→ Nd. zusammen mit P. Col.Zen. 2. 115h: S.B. 26. 16636. |
BL XII
|
|
|
|
→ (+ P. Col.Zen. 2 115h) SB 26 16636 |
BL Konk. II
|
|
104
|
1 |
]των → Κρί]των (vgl. schon ed.pr., Einl.); Kriton ist wohl identisch mit dem Stolarchen, vgl. H. Hauben, Anc.Soc. 36 (2006), S. 217. |
BL XIII
|
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105
|
1 |
Der Erg. Κ]ρ̣ίτωνι (ed.pr., Einl.) wird zugestimmt; Kriton ist wohl identisch mit dem Stolarchen, vgl. H. Hauben, Anc.Soc. 36 (2006), S. 217 und 219. |
BL XIII
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109
|
|
Nd. P. Cairo Zen. 4. 59632. |
BL VI
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111
|
|
Zu datieren zwischen 255 und 247 v.Chr., R. Bogaert, Z.P.E. 68 (1987), S. 49. |
BL IX
|
|
115
|
1 |
Am Ende viell. ψά̣[λιον, ,,a chain (for the elephant)", L. Casson, T.A.P.A. 123 (1993), S. 258, Anm. 41. |
BL X
|
|
|
3 |
Kriton ist wohl identisch mit dem Stolarchen, H. Hauben, Anc.Soc. 36 (2006), S. 217. |
BL XIII
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116
|
|
Nd.: C.Ptol.Sklav., Nr. 179. |
BL IX
|
|
|
19-23 |
Zu lesen: καὶ [᾽Αμύνταν παιδὶ] | καὶ οἱ τέσσαρες [σὺν αὐτῶι] | κζ Εὔτυχος ἕνα [ἐργάτην] | καὶ ᾽Αμύνται παι[δὶ καὶ] | οἱ τέσσαρες σὺν αὐτ̣[ῶι], C.Ptol.Sklav., Nr. 179., S. 744. |
BL IX
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117
|
6 |
ὀψ]ωνιαζομένοις: viell. συναλ]ωνιαζομένοις, ,,à des gens qui célèbrent ensemble le festival du battage de blé", T. Reekmans, La consommation S. 135. |
BL XI
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